एनआरसी की अंतिम सूची से असम भाजपा नाराज

0

गुवाहाटी। असम में संशोधित राष्ट्रीय नागरिक रेजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची से सत्तारूढ़ भाजपा बेहद नाराज है। राज्य में सत्तारूढ़ दल को इस बात से असंतोष है कि एनआरसी की मूल सूची के मुकाबले बेहद कम लोग बाहर किए गए हैं। पार्टी ने केंद्र और राज्य सरकार से अपील की है कि एनआरसी को पूरे राष्ट्र में लागू किया जाए।

असम भाजपा के अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वह मौजूदा एनआरसी का भरोसा नहीं कर सकते। वह केंद्र और राज्य सरकारों से अपील करते हैं कि एक राष्ट्रीय स्तर का एनआरसी तैयार किया जाए।

उन्होंने कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची (करीब 19 लाख से अधिक लोग बाहर) में पहले वाली आधिकारिक सूची (करीब 41 लाख से अधिक लोग बाहर) के मुकाबले बहुत कम लोगों को भारतीय नागरिकता से बाहर किया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर विदेशी प्राधिकरण (एफटी) में अपीलों के खिलाफ फैसला आया तो सरकार भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए कानून लाएगी। उन्होंने कहा कि पार्टी सूची से बाहर किए गए लोगों की विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील की प्रक्रिया पर नजर रखेगी।

दास ने कहा कि अगर यह पाया गया कि वाजिब भारतीय नागरिकों की अपील के खिलाफ विदेशी ट्रिब्यूनल में विपरीत फैसले आ रहे हैं, तो हम पूरे 19 लाख मामलों के निपटारे का इंतजार नहीं करेंगे। हम एक कानून बनाकर उनके हितों की रक्षा करेंगे।

असम भाजपा के अध्यक्ष दास ने कहा कि उनकी पार्टी को राज्य के विभिन्न जिलों से रिपोर्ट मिल रही है कि स्वदेशी लोगों को सूची से बाहर कर दिया गया है। हमारे हिसाब से अपील करने वाले दो लाख वाजिब भारतीयों को सूची से बाहर कर दिया गया है। जबकि एनआरसी का मसौदे में अपना नाम शामिल न होने पर चार लाख से अधिक लोगों ने अपील ही नहीं की है।

दास ने दावा किया कि वर्ष 1971 से पहले से बहुत से शरणार्थी भारत आए, जैसे साहा, गांगुली, बिस्वास आदि जिनका नाम जानबूझकर शामिल नहीं किया गया। जबकि यह सरनेम असम का होने की पहचान है। जबकि फर्जी दस्तावेज वाले बहुत से लोगों को सूची में शामिल कर लिया गया। एनआरसी प्रशासन ने इन दस्तावेजों को जारी करने वालों से उसका मिलान नहीं किया।

दास ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया ने अपने कार्यकाल 1991-96 के दौरान असम विधानसभा में बताया था कि राज्य में 30 लाख से अधिक विदेशी रह रहे हैं। उसके बाद तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने राज्यसभा में जानकारी दी थी कि भारत में दो करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं और 50 लाख बांग्लादेशी असम में बस गए हैं। पूर्व गृह मंत्री इंद्रजीत गुप्ता ने भी 42 लाख बांग्लादेशियों के घुसपैठ की बात स्वीकारी थी।

वहीं, असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा कि संशोधित एनआरसी में 1971 से पहले बांग्लादेश से भारत आने वालों में से बहुत से लोगों के नाम नहीं हैं। उन्होंने कई ट्वीट करके आरोप लगाया कि विरासत संबंध आंकड़ों में हेरफेर किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *