आखिर कब निकलेगा भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में फंसा समाज-आफाक

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लेखक , आफाक अहमद मन्सूरी..
लखनऊ | सरल शब्दों में कहें तो किसी नेता या सरकारी नौकर द्वारा निजी फायदे के लिए अपने अधिकार का दुरूपयोग ही भ्रष्टाचार है, करप्शन सिर्फ चंद लोगों तक सीमित नही है बल्कि 95 फीसदी समाज ही भ्रष्ट आचरण में लिप्त है, और सिर्फ सरकारी नही बल्कि आम लोगों की तरफ भी नज़र उठा कर देखें तो हर तरफ बेईमानी दिख जायेगी, दूध का धंधा करने वाला उसमे पानी मिलाता है, सेहत दुरुस्त करने के नाम पर नकली दवाईयां बिकती हैं, बिजनेस करने वाले अपने फायदे के लिए झूठ बोलने से नही चूकते, बिजली चोरी को तो लोग अपना अधिकार समझते हैं, स्कूल में ऐडमिशन के लिए डोनेशन मांगी जाती है, नौकरी पेशा आदमी टैक्स बचाने के लिए फेक मेडिकल बिल्स लगाना गलत नही समझता, और सरकारी महकमो में करप्शन के बारे में बताने की ज़रूरत ही नही है, उनके घोटाले तो लाखों करोड़ों में होते हैं, अगर पब्लिक सेक्टर में भ्रष्टाचार नही होता तो देश की स्थिति बहुत अलग होती, हमारे पास अच्छी सडकें होतीं हादसों में हम अपनों को नही खोते, हमारे पास चौबीसों घंटे बिजली होती आधी आबादी को अंधेरे में ज़िन्दगी नही बितानी पड़ती, हमारे पास बेहतर स्वस्थ्य सेवाएं होती लोगों की जान इतनी सस्ती नही होती, हमारे किसान खुशहाल होते कोई आत्महत्या नही होती, हमारे सभी बच्चे स्कूल जाते किसी को घूम-घूम कर कूड़ा उठाने की ज़रूरत नहीं होती, भ्रष्टाचार बर्फ के गोले के सामान है एक बार ये लुढकने लगता है तो बढ़ता ही जाता है और अक्सर इस गोले की शुरुआत सरकारी दफ्तरों से ही होती है, यानि अगर हम वहीँ इस गोले को लुढकने से रोक दें तो काफी हद तक भ्रष्टाचार रोका जा सकता है, सरकरी काम काज जिनती पारदर्शिता के साथ होगा भ्रष्टाचार  की संभावना उतनी ही कम होंगी, सरकार को जनता से ज्यादातर सरकारी कामों के लिए समय को फिक्स करना चाहिए और इसकी जानकारी सम्बंधित विभाग की नोटिस बोर्ड्स पर दी जानी चाहिए और अगर काम समय पर पूरा न हो तो सम्बंधित अधिकारी को इसके लिए उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए,ऐसा होने पर सरकारी कर्मचारी बेकार में किसी का काम डिले करके उससे पैसे नही वसूल सकेंगे, घूस लेने और देने वालों के लिए सख्त से सख्त सजा का प्रावधान करके सरकारी नौकरी को 100% सुरक्षित माना जाता है, मतलब एक बार आप घुस गए तो कोई आपको निकाल नही सकता है और अधिकतर होता भी यही है अगर कोई किसी करप्ट एक्टिविटी में पकड़ा भी जाता है तो अधिक से अधिक उसे कुछ समय के लिए सस्पेंड कर दिया जाता है और वो पैसे खिला कर फिर से वापस आ जाता है, इस चीज को बदलने की ज़रूरत है, भ्रष्टाचार में लिप्त इंसान अपने फायदे के लिए करोड़ों लोगों का नुक्सान करता है, खराब सडकें, दवाइयां और खान-पान की चीजें लोगों की जान तक ले लेती हैं और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति को सख्त से सख्त सजा मिलनी ही चाहिए, नौकरी से निकाले जाने के साथ साथ जेल और भारी जुर्माने का भी प्रावधान होना चाहिए, मीडिया को भी ऐसे लोगों को समाज के सामने लाने में कोई कसर नही छोडनी चाहिए |
कोई भी ऐसी पार्टी नही जो आपराधिक छवि और दागदार लोगों को टिकट ना देती हो चुनाव आयोग को चाहिए कि वो किसी भी हालत में ऐसे लोगों को चुनाव न लड़ने दे तब जबकि मामला कोर्ट में चल रहा हो, आज मुखिया के चुनाव में भी करोड़ों रुपये खर्च होते हैं और सबकुछ जानते हुए भी सरकार चुप रहती है इसलिए चाहिए कि चुनावी खर्चे की जो लिमिट निर्धारित की गयी है उसपर कड़ी नज़र रखी जाए कि कोई उससे अधिक खर्च ना करे, और ऐसा होता है तो तत्काल उसका टिकट निरस्त किया जाना चाहिए, जब करप्ट लोग संसद या विधानसभा में पहुँचने से रोके जायेंगे तो भ्रष्टाचार ज़रूर कम होगा |
भ्रष्टाचार पहले ही करोड़ों बच्चों से उनका बचपन; युवाओं से उनकी नौकरी और लोगों से उनका जीवन छीन चुका है, आज आज़ाद भारत को एक बार फिर देशभक्तों की ज़रूरत है, खादी का कुर्ता पहन लेने और जय हिन्द बोल देने से कोई देशभक्त नही बन जाता, देशभक्त वो होता है जो अपने देश की जनता को अपना समझता है और उसके दुखों और समस्याओं के लिए हर हालात से मुकाबला करने को तैयार रहता है |

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