मोदी सरकार में रेकॉर्ड संख्या में जजों की नियुक्ति हुई: कानून मंत्री

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नई दिल्ली : कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दावा किया है कि केंद्र की NDA सरकार के चार साल के कार्यकाल के दौरान रेकार्ड संख्या में जजों की नियुक्ति की गई।

अगले चीफ जस्टिस को लेकर पूछे गए सवाल पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि परंपरा रही है कि चीफ जस्टिस सीनियर मोस्ट जज को CJI के लिए अनुशंसा करते हैं और सरकार परंपरा के मुताबिक फैसला लेती है। सरकार की नीयत पर शक करने की कोई वजह नहीं है।

4 साल के कामकाज का लेखाजोखा पेश करते हुए सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने अप्रैल 2015 से मई 2018 के बीच सुप्रीम कोर्ट में 18 जजों की नियुक्ति की।

वहीं, 2014 से लेकर अब तक हाई कोर्ट में 331 जजों की नियुक्ति हुई है और 313 अडिशनल जजों को हाई कोर्ट में परमानेंट किया गया है।

उन्होंने कहा कि 1428 पुराने पड़ चुके केंद्रीय कानूनों को सरकार ने रद्द कर दिया। इसके अलावा 229 ऐसे राज्य कानूनों को रद्द करने के लिए वापस राज्य सरकारों को भेजा गया है।

प्रसाद ने बताया कि 2015 में 281 फास्ट ट्रैक कोर्ट थे, जिनकी संख्या अब 727 हो गई है। इतना ही नहीं, जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई के लिए 11 राज्यों में 12 स्पेशल कोर्ट भी बनाए गए हैं।

यह पूछे जाने पर कि अगर सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने आधार कार्ड योजना को अवैध करार दे दिया तो क्या होगा? इस पर रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘यह काल्पनिक सवाल है।

121 करोड़ लोग आधार कार्ड के लिए रजिस्टर कर चुके हैं। 59.95 करोड़ भारतीय अभी तक अपने 87.79 करोड़ बैंक अकाउंट आधार से लिंक करवा चुके हैं।

इसके साथ ही हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति की सिफारिशों के मानदंडों को लेकर भी चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि कलीजियम अगर पारदर्शी मानदंडों के साथ ज्यादा नामों की सिफारिश करे तो उन्हें फाइनल करना आसान और जल्द होगा।

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