अवैध रेत निकासी सत्ता के मद में चूर शासन प्रशासन के कार्यवाही से बेखौफ।

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अनूपपुर कोतमा।मध्यप्रदेश में सत्ता के मद में चूर शासन प्रशासन से बेखौफ जीवनदायिनी नदियों के अस्तित्व के साथ खिलवाड़ करने की खुली छूट राजनीतिक संरक्षण की ओर संकेत करता है। एनजीटी के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है नदी के अंदर पोकलेन मशीन से रेत निकासी का कार्य अवैध रूप से बदस्तूर जारी है।केवई नदी (चंगेरी घाट)
एक राजनीतिक पार्टी की अर्थव्यवस्था को मजबूत और जीवनदायिनी नदी को कमजोर करता हुआ अवैध कारोबार

आखिर कब तक कानून पर भारी रहेंगे रेत माफिया ?
आखिर क्यों नहीं हो रही कार्यवाही ? यदि हाई प्रोफाइल माफियाओं को कानून से छूट है, क्या सिर्फ सब्जी-रोटी की खातिर जेब काटने वाले गरीब जेबकतरों की फ़ाइल ही न्यायालय पहुँचती है क्या यह सभी तथ्य विचार योग्य हैं। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे हुए अनूपपुर जिले में खनिज विभाग माफियाओं के शरणागत है। प्रशासन द्वारा तय की गई सीमा से आगे बढ़कर केवई नदी (चंगेरी घाट) कोतमा में अवैध रेत उत्खनन जोरों पर है। खनिज विभाग द्वारा जमीन में स्थापित किया हुआ बाँस का मुनारा वीडियो में स्पष्ट है। सत्तादल के चाटुकारिता में गैरकानूनी धंधों के उस्ताद कहे जाने वाले कुछ लोग हावी हैं और नियमों को पलीता लगा रहे हैं। भोपाल की एक बड़ी कंपनी को मिले रेत खदान को पेटी कॉन्ट्रेक्ट में लेकर 3-4 चिन्हित माफियाओं द्वारा राजनीतिक पकड़ के आधार पर कायदे-कानून की धज्जी उड़ाई जा रही है। वहीं रॉयल्टी के कई गुना ज्यादा महँगा रेत खरीदकर लोग लुटने को मजबूर हैं और माफिया लूटने में मशगूल हैं।
यदि कानून सबके लिए बराबर है तो इस मामले में भी सकारात्मक कार्यवाही के लिए जिला प्रशासन अनूपपुर को निर्देश कब देगी मध्यप्रदेश सरकार का खनिज मंत्रालय विभाग।
इनका कहना है :-
आप लोग कैसे कह सकते हैं कि खनिज विभाग भी माफियाओं से मिला हुआ है। मैं कोई माइनिंग इंस्पेक्टर नहीं बल्कि माइनिंग ऑफिसर बोल रही हूँ। आप रुकिए!मैं टीम भेजकर चेक करवा लेती हूँ ।
जिला खनिज अधिकारी अनूपपुर

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