जगतगुरु शंकराचार्य स्वामीश्री स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का 73वां सन्यास दिवस बडी धूमधाम से मनाया गया
रायपुर। जगतगुरु शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला रायपुर में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का 73वां सन्यास दिवस बडी धूमधाम से मनाया गया प्रातः काल परांबा भगवती राजराजेश्वरी की मंगला आरती की तत्पश्चात भगवान शिव का रुद्राभिषेक संपन्न कराया गया श्रृंगार आरती के पश्चात गुरुपरम गुरुपरमेष्ठी गुरु का पूजन पूर्वक पादुका पूजन संपन्न किया गया परांबा भगवती राजराजेश्वरी का सहस्त्र नामों से अर्चन किया गया विभिन्न प्रकार के द्रव्यों से भगवती की पूजन की गई तत्पश्चात मध्याह्ण काल में भगवान सूर्यनारायण का विशेष पूजन किया गया पौष मास के पुनीत पर्व सूर्य भगवानकी पूजा का विशेष महत्व है अतः लाल कमल पुष्पों से भगवान सूर्य की पूजा की गई।
डॉक्टर ब्रह्मचारी श्री इंदुभवानन्द जी महाराज ने बताया कि भारतीय सनातन परंपरा में चार आश्रम माने गए हैं ब्रह्मचर्य, ग्रहस्थ वानप्रस्थ और संन्यास। सन्यास सबसे श्रेष्ठ और ज्येष्ठआश्रम माना जाता है सन्यास में दंड ग्रहण करने मात्र से व्यक्ति नारायण के स्वरूप को प्राप्त कर लेता है
श्लोक
।।दण्डग्रहण मात्रेण नरो नारायणो भवेत्।।
नारायण का स्वरूप उसको प्राप्त हो जाता है। अनन्त श्री विभूषित ज्योतिष् पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज जी को अपने दण्ड संन्यास के 73 वर्ष पूर्ण हो चुके है संन्यासियों में उनके छोटे बड़े के गणना उनके चातुर्मास से होती है जिनके जितने अधिक चातुर्मास होते हैं वह उतना श्रेष्ठ माना जाता है पूज्यपाद् महाराज श्री के 73 चातुर्मास ज्ञानाभ्यास करते हुए हों गए । श्रेष्ठ संन्यासी के दर्शन प्राप्त करने मात्र से सभी पातको का नाश हो जाता है क्योंकि संन्यासी भगवान का चल रूप माना जाता है
कार्यक्रम को सादर संपन्न कराने में आचार्य धर्मेंद्र मिश्र, तथा संस्कृत विद्यालय के अध्यापक दीपक पांडे तथा संस्कृत विद्यालय के समस्त छात्रों ने अनुष्ठान को संपन्न कराया जनकराम साहू डी डी साहू हनुमान तिवारी आदि श्रद्धालुओं ने भी भाग लिया।