भारत करों के आतंक से करों में पारदर्शिता की ओर बढ़ाः प्रधानमंत्री
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयकर अपीलीय अधिकरण की कटक पीठ के कार्यालय-सह-आवासीय परिसर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने कहा कि यह पीठ अब न केवल ओडिशा को, बल्कि पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत के लाखों करदाताओं को आधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगी और इस क्षेत्र में सभी लंबित मामलों को निपटाने में मदद करेगी।
प्रधानमंत्री ने आज कहा कि देश करों के आतंक से करों में पारदर्शिता की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के दृष्टिकोण के कारण आया है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की मदद से नियमों और प्रक्रियाओं में सुधार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा “हम स्पष्ट इरादों के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं और साथ ही कर प्रशासन की मानसिकता को बदल रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश के सम्पत्ति निर्माता की कठिनाइयों को कम किया जाता है, उन्हें सुरक्षा मिलती है, तो देश के प्रशासन पर उनका भरोसा बढ़ता है। उन्होंने कहा कि इस बढ़ते विश्वास का परिणाम यह है कि देश के विकास के लिए कर प्रणाली में शामिल होने के लिए अधिक से अधिक भागीदार आगे आ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कर में कमी के साथ कर प्रक्रिया में सरलता, सबसे बड़े सुधार ईमानदार करदाताओं की गरिमा से संबंधित हैं, ताकि उन्हें परेशानी से बचाया जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की विचार प्रक्रिया में आयकर रिटर्न दाखिल करने के बाद पहली बार में पूरी तरह भरोसा करना है। इसके परिणामस्वरूप, आज देश में दाखिल किए गए 99.75 प्रतिशत रिटर्न बिना किसी आपत्ति के स्वीकार किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह देश की कर प्रणाली में एक बड़ा बदलाव है।
श्री मोदी ने कहा कि दासता की लंबी अवधि ने कर दाता और कर संग्राहक के बीच संबंधों को शोषित और शोषक का बना दिया। गोस्वामी तुलसीदास को उद्धृत करते हुए श्री मोदी ने कहा, “बरसत हरसत सब लखें, करसत लखे न कोय तुलसी प्रजा सुभाग से, भूप भानु सो होय”इसका अर्थ है कि जब बादल बरसते हैं, तो लाभ हम सभी को दिखाई देता है; लेकिन जब बादल बनते हैं, तो सूर्य पानी को अवशोषित करता है, लेकिन किसी को असुविधा नहीं होती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कर इकट्ठा करते समय शासन को आम लोगों के लिये असुविधा पैदा नहीं करनी चाहिए; लेकिन जब यह धन नागरिकों तक पहुंचता है, तो लोगों को अपने जीवन में इसके लाभों को महसूस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्षों से सरकार इसी दृष्टिकोण से आगे बढ़ रही है और आज का करदाता पूरी कर प्रणाली में भारी बदलाव और पारदर्शिता देख रहा है। उन्होंने कहा कि जब करदाता को रिफंड के लिए महीनों इंतजार नहीं करना पड़ता है और कुछ हफ्तों के भीतर ही उसे रिफंड मिल जाता है, तो वह कर प्रणाली में पारदर्शिता महसूस करता है। जब वह देखता है कि विभाग ने पुराने विवाद को अपने दम पर हल कर लिया है, तो वह पारदर्शिता महसूस करता है। जब वह स्पष्ट अपील का आनंद लेता है, तो वह कर पारदर्शिता महसूस करता है। जब वह देखता है कि आयकर लगातार कम हो रहा है, तो वह अधिक कर पारदर्शिता महसूस करता है।
प्रधानमंत्री ने 5 लाख रुपये तक की आय पर शून्य कर को आज निम्न मध्यम वर्ग के हमारे देश के युवाओं को दिया जा रहा बड़ा लाभ बताया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष बजट में दिए गए आयकर के नए विकल्प ने करदाता के जीवन को सरल बनाया है। उन्होंने कहा कि विकास की गति तेज करने और भारत को अधिक निवेश के अनुकूल बनाने के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में ऐतिहासिक कटौती की गई है। उन्होंने कहा कि देश में विनिर्माण के मामले में स्वावलंबी बनाने के लिये घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कर की नई दर 15 प्रतिशत निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को भारत के पूंजी बाजार में निवेश बढ़ाने के लिए भी समाप्त किया गया है। वस्तु और सेवा कर-जीएसटी ने कर के दायरे को भी कम कर दिया है और अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं में कर की दर में भी कमी आई है। उन्होंने कहा कि आईटीएटी में अपील की सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख और उच्चतम न्यायालय में 2 करोड़ रुपये करने से विवादों के बोझ को कम करने के परिणामस्वरूप देश में कारोबार करने में आसानी हुई है।
प्रधानमंत्री ने संतोष व्यक्त किया कि आयकर अपीलीय अधिकरण भी वर्चुअल माध्यम से सुनवाई के लिए देश भर में अपनी पीठो को उन्नत कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के युग में संपूर्ण प्रणाली को उन्नत करना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विशेषकर हमारी न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक उपयोग ने देश के नागरिकों को नई सुविधा देना शुरू कर दिया है।