योग धर्म सम्प्रदाय से ऊपर -बदरूजमा अंसारी :करे योग रहे निरोग -संजय गिरि
JOGI EXPRESS
पाँच दिवसीय योग शिविर का समापन
चिरमिरी । योग मे अदभुत शक्ति है । वर्तमान मे आवश्कता है कि योग की क्रियाओं व विधाओं को नियमित योगाभ्यास के द्वारा स्वीकार करके जीवन के साथ कार्यप्रणाली मे समाहित किया जाये । उपरोक्त्त विचार वेस्ट चिरमीरी मे आयोजित पाँच दिवसीय योग शिविर समापन समारोह मे कार्यक्रम अध्यक्ष की आसंदी से जनाब बदरूजमा अंसारी छतीसगढ़ उर्दू अकादमी सदस्य ने व्यक्त किये ।श्री अंसारी ने अपने व्यक्तिगत अनुभव को प्रसंग का विषय बनाते हुये कहा की उन्हे कई तरह कई शारीरिक परेशानियों के साथ जगह जगह दर्द की शिकायत थी । प्रदेश व देश के नामी अस्पतालों व चिकित्साको के पास जाने के बाद भी उनको आराम नही मिला था लेकिन योग की शरण मे आने के बाद काफी आराम मिला है जिससे योग अब उनके जीवन का अंग बन गया है ।श्री अंसारी ने कहा कि योग को किसी सम्प्रदाय या धर्म से जोड़ना इस समाज व देश के लिये दुर्भाग्य की बात होगी क्योंकि योग हमारे पूर्वजों व ऋषियों द्वारा संरक्षित की गई ऐसी विधा व ज्ञान है जिससे मानव के साथ समाज स्वास्थ रह कर निरोग की कल्पना को इस धरातल पर साकार कर सकता है ।