प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सरकार दिशाहीन, केवल खोखली योजनायें बनायी जा रही – कांग्रेस, छत्तीसगढ़ में प्रदूषण से जीना हराम, लोगों को तोहफे में मिल रही है सांस संबंधित बिमारियां
जोगी एक्सप्रेस
रायपुर/। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मो. असलम ने कहा कि छत्तीसगढ़ के निर्माण को 17 वर्ष हो गये है पर प्रदेश की राजधानी रायपुर सहित अन्य शहरों को प्रदूषण एवं स्वच्छता से निजात दिलाने में सरकार की विफलता चरम पर है। प्रदूषण से देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं अपितु छत्तीसगढ़ में भी लोगो का जीना हराम हो गया है। सांस की बिमारियां जानलेवा साबित हो रही है। किन्तु पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कोई ठोस परिणाम मूलक कार्यवाही नहीं हो रही है। सरकार दिशाहीन है और प्रशासनिक अधिकारी केवल खोखली योजनायें बनाकर वाहवाही लूट रहे है। संयंत्रों से निकलने वाली धुंये की काली परते शहरों, आसपास के गांवों, छतों एवं घरों की दरों-दीवारों में जम रही है। कृषि योग्य जमीन बंजर हो रही है, फसले बर्बाद हो रही है, किसान आत्महत्या कर रहे है, पानी पीने योग्य नहीं रह गया है, सांसे थम रही है, चारो ओर धुंआ-धुंआ हैं, शहर से लेकर जंगल तक कंस्ट्रक्शन एवं उत्खनन हो रहा है, पर सरकार के सामने त्योहार मनाने की फेहरिस्त है और खुशियां मनाने में सब व्यस्त है। प्रदूषण की शिकायत करके लोग त्रस्त है कोई सुनने वाला नहीं है।
प्रवक्ता मो. असलम ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में लोहा, चूना, कोयला, बॉक्साइट, एल्यूमीनियम का प्रचुर भंडार है और इन भंडारों के दोहन की प्रक्रिया में निरंतर वृद्धि हो रही है। दर्जनों सीमेंट की छोटी-बड़ी फैक्ट्री है। कच्चा लोहा, चूना एवं कोयला के चलते राज्य में सीमेंट, बिजली एवं इस्पात संयंत्र बड़े पैमाने पर स्थापित है जो लगातार नियमों को ताक में रखकर प्रदूषण उगल रहे है, लेकिन प्रदूषण रोकने के उपाय को लेकर सरकार का रवैया शिथिल है। रायगढ़, दुर्ग, भिलाई, रायपुर, बिलासपुर, बलौदाबाजार के आसपास एवं छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों-कस्बाई इलाकों में हजारों राईस मिले है, सैकड़ों स्पंज आयरन, री-रोलिंग मिल, फेरो एलायंस संयंत्र, चिमनी भट्ठों, छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां है जो पर्यावरण एवं प्रदूषण के नियमों को ताक में रखकर प्रदूषण फैलाने में सहायक बनी हुयी है। राजधानी का शास्त्रीय चौक, कबीर नगर, उरला, बिरगांव, सिलतरा का इलाका पूरी तरह प्रदूषण की चपेट में है। इंडस्ट्रियल एरिया में वायुमंडल प्रदूषित है, यही स्थिति रही तो वर्तमान के साथ-साथ भविष्य का भी अंधकारमय हो जाना स्वभाविक है। छत्तीसगढ़ के सबसे प्रदूषित शहरों में दुर्ग-भिलाई एवं रायपुर का सर्वोच्च स्थान है। जहां कोयले के प्रयोग पर वैज्ञानिको ने रोक लगाने कहा है। यही नहीं नदियों के किनारे लगे संयंत्रों द्वारा अपशिष्ट पदार्थो का प्रवाह नदियों में किया जा रहा है, जो जल प्रदूषण उत्पन्न कर रहा है। वहीं बढ़ते कल-कारखाने और बढ़ती गाड़ियों की संख्या ध्वनि प्रदूषण बढ़ा रही है।
छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण और सरकार द्वारा कोई ठोस पहल नहीं किये जाने पर चिंता व्यक्त करते हुये कांग्रेस ने कहा है कि हरे-भरे छत्तीसगढ़ राज्य में विकास के बयार के नाम पर और आधुनिकीकरण की दुहाई देकर प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले खतरों को थोपना कहां तक उचित है? सरकार समस्याओं के निदान के लिये क्यों सख्त कदम नहीं उठा रही है? प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने कर्तव्यों की ठोस भूमिका कब निभायेगी? यह सवाल छत्तीसगढ़ की जनता के दिलो दिमाग में कौंध रही है।