November 23, 2024

उप राष्ट्रपति ने बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर श्रद्धांजलि दी

0
File Photo

नई दिल्ली : उप राष्ट्रपति, श्री एम वेंकैया नायडू ने आज स्कूल के पुस्तकों में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, देशभक्ति और पराक्रम की कहानियों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया, जिससे युवाओं को उनके प्रति प्रेरित किया जा सके।

आज फेसबुक में पोस्ट किए गए अपने एक वक्तव्य में, उप राष्ट्रपति ने महान स्वतंत्रता सेनानियों- बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती के अवसर पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लोगों से कहा कि वे इस महान देश के लिए उनके सपनों को साकार करने की दिशा में प्रयास करते रहें।

उन्होंने मीडिया से भी यह निवेदन किया कि वे सिर्फ ओर सिर्फ स्मरणीय अवसरों पर ही स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रीय नेताओं की कहानियों को कवर न करें बल्कि नियमित रूप से उनके योगदान को उजागर करते रहें।

लोकमान्य तिलक और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर प्रकाश डालते हुए, उप राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों नेताओं ने देश की आजादी के संघर्ष को सही आकार देने की दिशा में अग्रणी और प्रेरणादायक भूमिका निभाई है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि, “मुझे लगता है कि वर्तमान युवाओं को उनके जीवन और स्वतंत्रता संग्राम के बारे में, उनके द्वारा किए गए बहुमूल्य योगदान के संदर्भ में जरूर पढ़ना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि, औपनिवेशिक ताकतों द्वारा प्रायः बाल गंगाधर तिलक को ‘भारत में अशांति के लिए जिम्मेदार’ के रूप में संदर्भित किया जाता है, लेकिन वे “स्वतंत्रता के लिए सबसे पहले मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे।” श्री नायडू ने कहा कि वे एक विद्वान, गणितज्ञ, दार्शनिक, पत्रकार, समाज सुधारक और उग्र राष्ट्रवादी थे।

उप राष्ट्रपति ने कहा कि, उनकी प्रसिद्ध घोषणा “स्वराज मेरा जन्म अधिकार है और हम इसको लेकर रहेंगें”, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों के लिए एक शक्तिशाली स्पष्टीकरण आह्वान के रूप में काम आया।

उप राष्ट्रपति ने लोकमान्य तिलक की प्रशंसा करते हुए कहा कि, उन्होंने राष्ट्रीय भावना को मजबूती प्रदान करते हुए और इसको शिक्षित अभिजात वर्ग के दायरे से बाहर लेकर आते हुए, भगवान गणेश की पूजा को घरेलू सार्वजनिक कार्यक्रमों के स्थान पर सर्वजनिक गणेशोत्सव जैसे भव्य सार्वजनिक आयोजनों में तब्दील कर दिया।

उन्होंने लोगों की राजनीतिक चेतना को जागृत करने में, लोकमान्य तिलक द्वारा – केसरी और मराठा जैसे स्वामित्व और संपादित वाली दो साप्ताहिक समाचार पत्रों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।

उप राष्ट्रपति ने इस बात का उल्लेख करते हुए कहा कि, लोकमान्य 1884 में स्थापित की गई डेक्कन एजुकेशन सोसायटी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, और वे शिक्षा को लोकतंत्रिक और उदारवादी विचारों के प्रसार में एक गुणक-बल के रूप में देखते थे और उन्हें जनता को शिक्षित करने वाला एक मजबूत विश्वास प्राप्त था।

चंद्रशेखर आजाद के देशभक्ति वाले उत्साह, पराक्रम और निःस्वार्थ को याद करते हुए, उप राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें बहुत कम उम्र में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व करने का अवसर प्राप्त हुआ।

श्री नायडू ने चंद्रशेखर आजाद की सराहना करते हुए, उनके सर्वोच्च नेतृत्व कौशल और संगठनात्मक क्षमता पर चर्चा की, जिसके कारण चंद्रशेखर आजाद को हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरएसए) को पुनर्गठित करने और इसे मजबूती प्रदान करने में सहायता मिली।

चंद्रशेखर आजाद को भगत सिंह सहित कई युवा स्वतंत्रता सेनानियों का संरक्षक, दार्शनिक और मार्गदर्शक बताते हुए, उप राष्ट्रपति ने कहा कि 25 वर्ष की उम्र में चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रेरणादायक युवा नेताओं में से एक थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *