राजभवन में आपदा प्रशिक्षण सम्पन्न
भोपाल
राजभवन में चार दिवसीय आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम गुरुवार को सम्पन्न हुआ। इसमें राजभवन के समस्त अधिकारी-कर्मचारी शामिल हुये। आपदा प्रबंधन, राहत और बचाव के उपायों का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रक्षिक्षण में बताया गया कि आग लगने पर तुरंत अग्निशमन सेवा को कॉल करके सूचना दें । यह नहीं सोचें कि कोई दूसरा इसकी सूचना पहले ही दे चुका होगा। आग लगने पर सबसे पहले इमारत की अग्नि चेतावनी की घंटी (फायर अलार्म) को सक्रिय करें। फिर बहुत जोर से “आग-आग” चिल्लाकर लोगों को सचेत करें। चेतावनी कम शब्दों में ही देनी चाहिए। ताकि लोगों को घटना की गंभीरता आसानी से समझ आयें । प्रशिक्षण में बताया गया कि आग लगने पर लिफ्ट का उपयोग नहीं करें, केवल सीढ़ियों का ही प्रयोग करें। धुएँ से घिरे होने पर नाक और मुँह को गीले कपड़े से ढँक लें। अगर आप धुएं से भरे कमरे में फँस जाएं और बाहर निकलने का रास्ता नहीं हो, तो दरवाजे को बंद कर लें और सभी दरारों और सुराखों को गीले तौलिये या चादरों से सील कर दें, जिससे धुआं अंदर नही आ सके। प्रशिक्षण में बताया गया कि यदि आग आपकी अपनी ईमारत में लगी है और आप अभी फसें नहीं हैं तो पहले बाहर आएं और वहीं रूककर अग्निशमन सेवा को घटना की सूचना दें।
अधिकारियों और कर्मचारियों को बताया गया कि अपने घर और कार्यालय में स्मोक (धुआं) डिटेक्टर अवश्य लगाएं क्योंकि अपनी सुरक्षा के उपाय करना सदैव ही बेहतर और अच्छा होता है। निश्चित अंतराल पर इमारत में लगे फायर अलार्म, स्मोक डिटेक्टर, पानी के स्त्रोत, सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली, अग्निशामक की जांच करवाते रहें। प्रशिक्षणार्थियों से कहा गया कि अपने आस पास लगे अग्निशामक की तारीख जांच लें। ध्यान दें कि समय-समय पर उसकी सर्विसिंग हो और उसमे आग बुझाने वाले गैस अथवा केमिकल को बदला/भरा जाए। अग्निशामक यंत्र का प्रयोग कब और कैसे करना है, इस बारे में अवश्य जाने और लोगों को भी इसकी जानकारी दें। घटनास्थल के नज़दीक भीड़ नहीं लगने दें, इससे अग्निशमन सेवा और बचाव कार्य में बाधा होती है। अग्निशमन सेवा को सूचना दे कर, वहां से दूर हो जाए।
प्रशिक्षण में बताया गया कि यदि कपड़ो में आग लग जाए तो भागे नहीं, इससे आग और भड़केगी। जमीन पर लेट जाए और उलट-पलट(रोल) करे| किसी कम्बल, कोट या भारी कपडे से ढक कर आग बुझाएं| अगर आप आपातकालीन सेवा और अग्नि सुरक्षा में प्रशिक्षित नहीं हैं, तो आग में फँसे लोगों को निर्देश नहीं दें। ऐसा करके आप उन्हें भ्रमित या गुमराह कर सकते हैं, जिससे किसी की जान भी जा सकती है। भारी धुंआ और जहरीली गैस सबसे पहले छत की तरफ इकट्ठा होती है, इसलिए अगर धुआं हो तो ज़मीन पर झुक कर बैठें। इस अवसर पर राहत एवं बचाव कार्य के लिए समितियों का गठन किया गया। हर छह महीने में अग्निशमन अभ्यास किया जाना चाहिए। आपातकाल में एकत्र होने के स्थल का भी निरीक्षण करना चाहिए। अग्निशमन के उपकरण के उपयोग उनके रख-रखाव संबंधी जानकारियां दी गई। दुर्घटना में फंसे जान माल के सुरक्षित बचाव के तरीके सिखाये साथ ही स्वयं की क्षमता अनुसार व्यक्ति को बचाने के तरीके बताएं।