9,000 के स्तर पर फिर से आ सकता है सोने का भाव, निवेश के लिए Gold से बेहतर है Silver की खरीदारी
नई दिल्ली
बाजार विशेषज्ञ तीन दिन पहले तक सोने की कीमत 45000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंचे का अनुमान जता रहे थे। वहीं कुछ विशेषज्ञों ने यहां तक कह दिया था कि अक्षय तृतिया तक सोना 50000 तक पहुंच सकता है। कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते भले ही सोने में लोगों का रुझान बढ़ा है पर यह से 39 हजार पर आ सकता है।
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बीते एक साल से शेयर बाजार बुरे दौर से गुजर रहा है। बांड और निश्चित आय वाले निवेश उत्पाद पर भी रिटर्न घटा है। वहीं, सोने ने वर्ष 2019 में 25 फीसदी और वर्ष 2020 के सिर्फ दो महीने में करीब 10 फीसदी का रिटर्न दिया है। इससे निवेशकों का रुझान पीली धातु में तेजी से बढ़ा है लेकिन, कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि निवेश के लिए सोना से बेहतर है चांदी की खरीदारी। ऐसा इसलिए की सोने के भाव में कभी भी बड़ी गिरावट आ सकती है जबकि चांदी आने वाले महीनों में नया रिकॉर्ड बना सकता है।
39 हजार पर फिर आ सकता है सोना
कमोडिटी विशेषज्ञ और केडिया एडवायजरी के प्रबंध-निदेशक जय केडिया ने हिन्दुस्तान को बताया कि कोरोना वायरस के चलते निवेशकों का रुझान सोने में बढ़ा है। लेकिन, अब कोरोना का असर कम हो रहा है। इससे शेयर बाजार में निवेश बढ़ेगा और सोना से बाहर निकलेंगे। इसके चलते आने वाले दो महीने में सोने के भाव में पांच से छह फीसदी की कमी आ सकती है। सोने का भाव फिर से 39 हजार पर आ सकता है। इसलिए छोटे निवेशक को दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
चांदी में बड़ा उछाल संभव
कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि सोने के भाव में एकतरफा तेजी देखी गई है। वहीं, औद्योगिक मांग सुस्त होने से वह तेजी नहीं आई है। आने वाले महीनों में चीनी कंपनियों का काम फिर से शुरू करने से चांदी की मांग बढ़ेगी। इससे चांदी की कीमत में बड़ा उछाल आने की उम्मीद है। इस साल के अंत तक चांदी की कीमत 60 हजार रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच सकती है।
क्यों सफेद धातु अच्छा विकल्प
मौजूदा समय में सोने-चांदी की कीमत का अनुपात कई दशकों के उच्च स्तर पर है। इसका मतलब है कि चांदी पीली धातु के मुकाबले कम दामों पर है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि चांदी अपने सर्वोच्च स्तर 75,020 रुपये प्रति किलो से काफी कम पर कारोबार कर रहा है। इसलिए इसमें बढ़ने की भरपूर क्षमता दिख रही है। यही वजह है कि विशेषज्ञों ने दोबारा इसे संभावना वाले एसेट के तौर पर देखना शुरू कर दिया है।