स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय में आठवाँ इनटरनेषल काॅन्फ्रेंस का भव्य शुभारंभ
सागर
स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय में दिनाँक 27.02.2020 दिन गुरूवार प्रातः 10ः30 पर आठवाँ इनटरनेशल काॅन्फ्रेंस विषय इनोवेशन रिसर्च प्रेक्टिस इन फार्मा, साइंस मैनेजमेंट, एग्रीकल्चर, एण्ड टेक्नाॅलोजी पर स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी विभाग तथा एमपी काउंसिल आॅफ साइंस एण्ड टेक्नाॅलोजी एम पी गवर्नमेंट के संयुक्त तत्वाधान में कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। दीप प्रज्जवलन के उपरांत स्वागत भाषण कुलपति डाॅ.राजेश दुबे ने देते हुए कहा- आज अध्ययन के साथ आवश्यकता है कि हम नित नवीनतम अनुसंधान करें इसके लिए भैषज विभाग प्रबंधन और कृषि विज्ञान विभाग के लिए नवीनतकनीकी से छात्रों को अवगत कराना परम आवश्यक है इस संगोष्ठी का आयोजन करने से निश्चय ही छात्रों को प्रत्येक विषय पर नये विषयों का ज्ञान प्राप्त होगा। संगोष्ठी का औचित्य बताते हुए डाॅ.शैलेन्द्र पाटिल अधिष्ठाता भैषज विभाग ने बताते हुए कहा- हमने भारत को विश्व स्तर पर एक साफ्टवेयर ज्वाइंट, अंतरिक्ष क्लब के एक महत्वपूर्ण सदस्य, चिकित्सा पर्यटन के सबसे महत्वपूर्ण गंतव्य और जैव-प्रौद्योगिकी उद्योगों के एक केन्द्र के रूप में उभरते हुए देखा है।
दोनों देताओं ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग सुदृढ़ करने के महत्व पर जोर दिया तथा निर्देश दिया कि सहयोग कार्यक्रम को जल्दी अंतिम रूप दिया जाए और सहयोग के सहमत क्षेत्रों जैसे कि जैव प्रौद्योगिकी समुद्र, कृषि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एंव दवा, उर्जा, आपदा प्रबंधन, वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रौद्यागिकी में ठोस सहयोग के लिए रोडमैप विकसित किया जाए। अपने विषय की भूमिका रखते हुए यूनाइटेड नेशन जनेवा से पधारे डाॅ. रंजीत बारषिकार ने कहा-भारत में फार्मास्युटिकल उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। विकास को बनाए रखने के लिए उद्योग को गुणवत्ता के साथ यूएस एफडीए/आईसीएच क्यू 8 आर 2 के डिजाइन दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए, जो उत्पाद की विफलताओं के लिए गुणवत्ता को बढ़ाने और जोखिम को कम करने में मदद करेगा। क्वालिटी-बाय-डिजाइन गुणवत्ता बढ़ाने, जोखिम कम करने और अवसरों को बनाने के लिए एक उपयोगी उपकरण है। टैबलेट डेवलपमेंट पर केस स्टडी भी प्रस्तुत की जाएगी।क्वालिटी-बाय-डिजाइन न केवल विकसित दनिया में बल्कि भारत जैसे विकासशील देशों में भी चर्चा का विषय रहा है। एफडीए, डब्ल्यूएचओ, ईएमईए, हेल्थ कनाडा, एमएचए, टीजीए और एसएफडीए जैसी दुनिया भर की प्रमुख संघीय एजेंसियों ने पहले ही क्यू 8, क्यू 9, क्यू 10, क्यू 11 और पीएटी जैसे आईसीएच मार्गदर्शन को अपनाया। इस सत्र का संचालन सेवा निवृत डाॅ.आर नाथ की अध्यक्षता में हुआ।
तदोपरांत अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलाधिपति डाॅ.अजय तिवारी ने कहा-विज्ञान और प्रौद्योगिकी सबंधों की परिपक्वता की झलक मोलेक्यूलर विज्ञान, सर्फेस एवं इण्टरफेस विज्ञान सहित उन्नत सामग्री विज्ञान, आधुनिक जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी खगोल शास्त्र एवं अंतरिक्ष विज्ञान एवं विनिर्माण विज्ञान जैसे क्षेत्रों में किए जा रहे सहयोग में मिलती है। आसियान-भारत सहयोग में अब व्यापार एवं निवेश, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ,जैव प्रौद्योगिकी उन्नत सामग्रियाँ अन्तरिक्ष विज्ञान और उनके अनुप्रयोग, पर्यटन मानव संसाधन विकास, परिवहन एवं अवसंरचना, स्वास्थ्य एवं भेशज जैसे शामिल हैं। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में डाॅ. इरानी मुखरजी दिल्ली के कृषि विज्ञान शोध संस्थान से पधारी की अध्यक्षता में प्रारंभ हुआ आपने कहा- पर्यावरण सूक्ष्मजीवों, पौधों के पशु और मानव जीवन सहित भूमि, जल, पृथ्वी का गठन करता है। पर्यावरण का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र जीवमंडल है क्योंकि यह जीवों को जीवित करता है। जीवित जीव, पौधे और जानवर मिट्टी , हवा और पानी जैसे अन्य पर्यावरणीय कारकों के साथ बातचीत करते हैं। औद्योगिकीकरण और वैष्विकीकरण ने पर्यावरण और जीवन को बढ़ावा देने की क्षमता को प्रभावित किया है। प्रदूषक या दूषित हो सकता है। प्रदूषण को मनुष्य द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पदार्थों के परिचय के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप जीवित प्राणियों पर हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं जिसमें मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बाधायें पैदा होती हैं।
संदूषण जीव में या एक निर्दिष्ट क्षेत्र में प्राकृतिक पृष्ठभूमि के स्तर से ऊपर के वातावरण में पदार्थों की उच्च सांद्रता की उपस्थिति है। पर्यावरण प्रदूषण को हवा, पानी मिट्टी की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में अवांछनीय और अवांछित परिवर्तित के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। आमंत्रित विषय प्रबोधन में जबलपुर से पधारी डाॅ. रैना जाधव ने कहा- औषधीय पौधे का उपयोग कच्ची दवाओं के रूप में निकालने के लिए किया जाता है और वे विभिन्न औषधीय गुणों वाले पौधों का उपयोग करते हैं बड़ी मात्रा में दवाओं के स्त्रोत होते हैं जिनमें एंटीमाइक्रोबियल एंटीफंगल के विभिन्न समूह शामिल होते। नाइजेरिया विश्वविद्यालय से पधारे डाॅ.सुलेमान जाउरो ने कहा-हमारी भविष्योन्मुख साझेदारी अवसंरचना विनिर्माण तथा उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में हमारे सहयोग को एक नए स्तर पर ले जाती है जिसमें उन्नत परिवहन प्रणालियां असैन्य परमाणु उर्जा, सौर उर्जा उत्पादन दुर्लभ मृदा एवं उन्नत सामग्री शामिल है।
दूर संचार कम्पयूटीकरण, सूचना प्रौद्योगिकी तथा पर्यावरणीय प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से निर्धारित परियोजनाओं में मिलजुलकर कार्य करने की संभावनाओं का सक्रिय अध्ययन करेगा, साथ ही अंतरिक्ष सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और भेषज जैसी अग्रणी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्वयं भारत की सुस्थापित क्षमताऐं तथा वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में भारत की उत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका से विदेश नीति संबंधी हमारी पहलकदमियों को नया विश्वास और नई ताकत मिली है। पाण्डुचेरी से पधारे डाॅ.राज