जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर गांधी परिवार और मोदी सरकार में ठनी
नई दिल्ली
जस्टिस एस मुरलीधर को बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ट्रांसफर किए जाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार और कांग्रेस के गांधी परिवार के बीच सियासी जंग छिड़ गई है.
जस्टिस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई गई थी. ये फटकार भड़काऊ बयान देने वाले बीजेपी नेताओं पर केस दर्ज करने में दिल्ली पुलिस की नाकामी पर लगाई गई थी. इसी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जस्टिस मुरलीधर के तबादले का आरोप लगाया.
कांग्रेस सांसद और पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए दिवंगत जस्टिस बी एच लोया को ‘याद’ किया. बता दें कि जस्टिस लोया का दिसंबर 2014 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. उस वक्त वो सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह का भी नाम आया था.
जस्टिस मुरलीधर ने उत्तर पूर्व दिल्ली के अस्पतालों में फंसे मरीजों को राहत प्रदान करते हुए दिल्ली पुलिस को उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का आदेश दिया था.
विधि मंत्रालय ने बुधवार को जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद अधिसूचित किया. ट्रांसफर का वक्त इसलिए विवादित हो गया, क्योंकि विधि मंत्रालय की अधिसूचना बुधवार देर रात को आई.
राहुल गांधी के मोदी सरकार पर हमले के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर पर पलटवार किया. प्रसाद ने ट्वीट में लिखा- “जस्टिस मुरलीधर का तबादला भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की 12.02.2020 को की गई सिफारिश के अनुरूप किया गया. तबादले के वक्त जज की मंज़ूरी ली गई. अच्छी तरह से स्थापित प्रकिया का पालन किया गया.”
प्रसाद ने कांग्रेस पर रूटीन ट्रांसफर के राजनीतिकरण का आरोप लगाया. प्रसाद ने कहा, “रूटीन ट्रांसफर का राजनीतिकरण कर कांग्रेस ने एक बार फिर साबित किया है कि न्यायपालिका का वो कितना कम सम्मान करती है. भारत के लोगों ने कांग्रेस पार्टी को खारिज कर दिया है इसलिए वो भारत के संस्थानों पर ही लगातार हमला करके उन्हें नष्ट करने पर आमादा है.”