गुजरात सरकार का बजट पेश, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लिए 387 करोड़ आवंटित
गांधीनगर
गुजरात विधानसभा का बजट सत्र बुधवार से शुरू हो गया है. सूबे के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री नितिन पटेल ने विधानसभा में गुजरात का वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश किया. इस बार गुजरात सरकार ने 2 लाख 17 हजार 287 करोड़ रुपये का बजट पेश किया. गुजरात सरकार में इस बजट में कई घोषणाएं की गई हैं. साथ ही सरकार ने हर वर्ग के लिए ऐलान किया है.
गुजरात सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए किसान सम्मान निधि योजना के तहत 48 लाख किसानों को 3,186 करोड़ देने का ऐलान किया है. इसके साथ ही सरकार ने बताया कि इज ऑफ डूइंग बिजनेस में 43 फीसदी स्टार्ट-अप गुजरात में है. वहीं बजट के दौरान वित्त मंत्री नितिन पटेल ने बताया कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर 40 लाख प्रयर्टक अब तक विजिट कर चुके हैं.
गुजरात के वित्त मंत्री ने कहा कि 31 और शहरों-कस्बों में मवेशी, पशु-पक्षी की चिकित्सा के लिए करुणा एम्बुलेंस शुरू की जाएगी. गिरि और कंकरेज गाय प्रजनन और संरक्षण के लिए 32 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव है.
सड़क किनारे फलों और सब्जियों की बिक्री करने वाले 65000 गरीब खुदरा विक्रेताओं को बड़े आकार की छतरियां प्रदान की जाएंगी. इसके डिजाइन-निर्माण का आदेश दे दिया गया है. वित्त मंत्री ने बताया कि उन्होंने आखिरी दिन अपने बजट में इस छोटी चीज को जोड़ा है.
2020-21 के लिए गुजरात सरकार ने पर्यटन स्थल के रूप में हेरिटेज सिटी वडनगर (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म स्थान) के विकास के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. वहीं 2020-21 के लिए गुजरात सरकार ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के व्यापक विकास के लिए 387 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
गुजरात सरकार ने इस वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अलग-अलग प्रवाधान किए हैं…
– कृषि किसान कल्याण और सहकारिता विभाग के लिए 7,423 करोड़ रुपये रुपये का प्रावधान जल संसाधन विभाग के तहत विभिन्न गतिविधियों के लिए 7,720 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– शिक्षा विभाग के लिए 31,955 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के लिए 11,243 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– महिला एवं बाल विकास विभाग के लिए 3150 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– जलापूर्ति प्रभाग के लिए 4317 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के लिए 4321 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– आदिवासी विकास विभाग के लिए 2675 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– पंचायत और ग्रामीण विकास के लिए 9091 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– शहरी विकास और शहरी आवास विभाग के लिए 13,440 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– श्रम और रोजगार विभाग के लिए 1461 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– सड़कों और भवन विभाग के लिए 10,200 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– बंदरगाहों और परिवहन के लिए 1397 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल्स के लिए 13,917 करोड़ रुपए का प्रावधान.
– जलवायु परिवर्तन के लिए 1019 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– उद्योगों और खान विभाग के लिए 7017 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– पर्यटन विभाग के लिए 480 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– वन और पर्यावरण विभाग के लिए 1781 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– गृह विभाग के लिए 7503 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– खाद्य और नागरिक आपूर्ति के लिए 1271 करोड़ रुपये प्रावधान.
– राजस्व विभाग के लिए 4473 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के लिए 497 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– खेल, युवा और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए 560 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– सूचना और प्रसारण विभाग के लिए 169 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– कानूनी विभाग के लिए 1681 करोड़ रुपये का प्रावधान.
– सामान्य प्रशासन विभाग के लिए 1766 करोड़ रुपये का प्रावधान.