November 24, 2024

रायपुर पुलिस की शानदार उपलब्धि पीड़ित पक्ष की लिखी रिपोर्ट दिलाया न्याय

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के पुलिस लगातार अपनी छवि को सुधारने में लगी है और इसमें कामयाब भी होती नजर आ रही है. आज लोगों के मन में पुलिस के लिए खौफ कम हुआ है इसके साथ ही लोग पुलिस को मित्र के जैसा समझ कर अपनी समस्याओं को बता रहे हैं और उनका समाधान भी पा रहे हैं. इसी का नतीजा रहा है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस काम के लिए पुरस्कार भी मिल चुका है. ऐसे ही संवेदना की मिसाल एक बार पुलिस ने फिर से पेश की है जब सुनीता पार्क जी4 निवासी प्रकाश सिंह राजपूत के सुनीता पार्क स्थित मकान पर रसूखदार द्वारा जबरन ताला तोड़कर बेजा कब्जा करने की रिपोर्ट लिखकर पीड़ित को कुछ मानसिक शांति दिलाई है.

पीड़ित पक्ष प्रकाश सिंह राजपूत जो कि रायपुर में निवास करते थे और वर्तमान में मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग में उच्च पद पर पदस्थ हैं, ने सुनीता पार्क के G4 नंबर का मकान 1998 में खरीदा था जिसकी ओरिजिनल रजिस्ट्री की कॉपी गुम होने के बाद प्रार्थी ने बकायदा इसकी रिपोर्ट भी लिखाई थी, इसी दौरान वर्तमान मध्यप्रदेश में उनकी पुलिस विभाग में नौकरी लग गई जिसके सिलसिले में उन्हें रायपुर छोड़कर जाना पड़ा. इस दौरान वह बीच-बीच में छुट्टियों में अपने पैतृक स्थान रायपुर आते थे और सुनीता पार्क स्थित अपने मकान का अवलोकन कर चले जाते थे.

मकान में ताला लगे रहने का फायदा उठाकर कुछ रसूखदार लोगो ने पहले तो उक्त मकान की फर्जी तौर पर रजिस्ट्री भी करवाई और बाजार मूल्य से कम दाम पर बेच भी दिया जिसकी जानकारी मिलने के बाद पीड़ित प्रकाश सिंह राजपूत ने इस मामले की रिपोर्ट लिखाई और मामला वर्तमान समय में न्यायालय में लंबित है इसी दौरान रसूखदार द्वारा पीड़ित के मकान में बलात रूप से ताला तोड़कर कब्जा करने का प्रयास किया गया जिसके बाद प्रार्थी ने इस मामले को लेकर एक बार फिर ताला तोड़ने की शिकायत दर्ज करने के लिए पुलिस की मदद ली और अंततः पुलिस ने मामले का विवेचना करने के बाद पीड़ित की शिकायत दर्ज कर ली है और भादवि की धारा 448 के तहत खम्हारडी थाना में अपराध क्रमांक 33/ 20 पर कायम कर लिया है।

मामला दर्ज हो जाने के बाद पीड़ित प्रकाश सिंह राजपूत ने कहां है कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था और उन्हें यकीन था कि पुलिस उनकी मदद करेगी क्योंकि सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं.

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