भोपाल गैस त्रासदी : यूनियन कार्बाइड का प्रोडेक्शन ऑपरेटर शकील गिरफ्तार,एंबुलेंस में लेकर कोर्ट पहुंची CBI
भोपाल
भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal gas tragedy) मामले में फरार चल रहे आरोपी शकील अहमद कुरैशी को नागपुर से गिरफ्तार कर लिया गया है. वो बीमार है. इसलिए सीबीआई उसे एंबुलेंस में लेकर भोपाल जिला कोर्ट पहुंची.हालत ठीक नहीं होने की वजह से शकील को जज के सामने पेश नहीं किया जा सका.जज ने खुद कोर्ट परिसर में आकर एंबुलेंस में शकील को देखा. शकील यूनियन कार्बाइड कारखाने में एमआईसी प्रोडक्शन यूनिट में ऑपरेटर थे. गैसकांड के वक्त वो ड्यूटी पर तैनात थे.
कोर्ट परिसर की पार्किंग में खड़ी एंबुलेंस में मौजूद आरोपी शकील अहमद के बेटे ने न्यूज को बताया कि हार्टअटेक आने की वजह से 2010 के बाद उनके पिता कोर्ट में पेश नहीं हो सके.इस दौरान कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किए, लेकिन इस वारंट की जानकारी उन्हें नहीं लगी.लंबे समय से बेड रेस्ट पर होने की वजह से शकील का कहीं आना-जाना भी नहीं हुआ.शकील के बेटे ने आगे बताया कि उन्हें अंदाजा नहीं था कि उनके पिता अपनी बीमारियों से उबर नहीं पाएंगे.इसलिए वक्त का पता नहीं चला.
इधर, कोर्ट ने फरार शकील अहमद कुरैशी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए.लंबे समय से कोई खबर ना मिलने पर फरार मानकर शकील की तलाश की गई. लेकिन सीबीआई ने हर बार कोर्ट को बताया कि शकील का सुराग नहीं मिल पा रहा है.कोर्ट ने कई वारंट जारी किए और सीबीआई को फटकार भी लगाई थी.
दिल्ली सीबीआई टीम ने शकील अहमद कुरैशी को नागपुर में गिरफ्तार किया.वो गैस त्रासदी के बाद अपने परिवार के साथ नागपुर में रहने लगा था.यहीं पर उसके परिवार का कारोबार है.
फैसले के वक्त कोर्ट में देखा गया था आरोपीसात जून 2010 को सीजेएम कोर्ट ने कुछ गुनहगारों को दो साल की जेल और जुर्माने की सजा सुनाई थी.फैसले के बाद एक तरफ सीबीआई ने गुनाहगारों की सजा बढ़ाने की एक अपील सेशन कोर्ट में लगाई तो दूसरी तरफ आरोपियों ने खुद को बेगुनाह बताते हुए बरी करने की अपील की थी.सेशन कोर्ट में अपील पेश हुए 8 साल बीत चुके हैं.गैस कांड के आपराधिक मामले में निचली कोर्ट ने शकील अहमद कुरैशी को दो साल की सजा सुनाई थी.2010 के इस फैसले के वक्त वह आखिरी बार अदालत में मौजूद थे. उसके बाद शकील का कोई सुराग नहीं मिला. शकील दिसंबर 1984 में यूनियन कार्बाइड में गैस रिसने के समय रात की शिफ्ट में एमआईसी प्रोडक्शन यूनिट में ऑपरेटर थे.कहा यह भी जाता है कि शकील अहमद कुरैशी की कोई पहचान नहीं थी.उसके बारे में किसी को पता नहीं था.न ही उसका जांच एजेंसी के पास फोटो था.