कोई टेलीकॉम कंपनी दिवालिया हुई तो बैंकों को चुकानी पड़ेगी कीमत- SBI चेयरमैन
नई दिल्ली
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के अध्यक्ष रजनीश कुमार ने शनिवार को कहा कि किसी दूरसंचार कंपनी (Telecom Companies) के दिवालिया होने की स्थिति में बैंकों को उसकी 'कीमत चुकानी पड़ेगी.' इससे पहले शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने यह स्पष्ट किया था कि दूरसंचार कंपनियों को 1.47 लाख करोड़ रुपये के सांविधिक बकाये का भुगतान करना होगा. बता दें कि एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के बकाये भुगतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की फटकार के बाद टेलिकॉम विभाग (Department of Telecom) ने कहा कि कंपनियां आज आधी रात से पहले बकाये का भुगतान करें.
देश के सबसे बड़े कर्जदाता एसबीआई के प्रमुख ने कहा कि बैंक आगे के घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है. जब कुमार से यह पूछा गया कि यदि कोई दूरसंचार कंपनी दिवालियापन की ओर बढ़ती है तो इसका बैंकों पर क्या असर होगा, उन्होंने कहा, 'अगर किसी भी उद्यम पर नकारात्मक असर होता है तो इसका असर एक व्यापक व्यवस्था पर होगा. चाहें वे बैंक हों, चाहें कर्मचारी हों, चाहें वे वेंडर हों या ग्राहक, हर कोई प्रभावित होगा.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इस समय एयरसेल और आरकॉम के खातों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) के रूप में वर्गीकृत किया गया है. दोनों कंपनियों ने दिवालिया घोषित होने के लिए आवेदन किया है. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बैंक जमाओं की बीमाराशि में बढ़ोतरी के चलते प्रीमियम का भार ग्राहकों पर नहीं डाला जाएगा.
साथ ही कोर्ट ने टेलिकॉम विभाग से भी कंपनियों को राहत पर सवाल उठाया है. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि टेलिकॉम विभाग ने कैसे नोटिफिकेशन जारी किया कि अभी भुगतान ना करने पर कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाएगी. टेलिकॉम कंपनियों को रेवेन्यू का कुछ हिस्सा सरकार को स्पेक्ट्रम फीस जिसे स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज (SUC) और लाइसेंस फीस के रूप में जमा करना होता है. टेलिकॉम कंपनियों का डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन्स (DoT) से लाइसेंस अग्रीमेंट होता है. अग्रीमेंट में ही एजीआर से जुड़े कंडीशन्स होते हैं.