संघ के चहेते वीडी शर्मा के हाथ BJP की कमान देने के पीछे ये है अहम वजह
भोपाल
विष्णु दत्त शर्मा (VD Sharma) को प्रदेश बीजेपी (MP BJP) की कमान मिलने के बाद साफ हो गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने प्रदेश बीजेपी में नेतृत्व की B-लाइन तैयार करने पर काम शुरू कर दिया है. वीडी शर्मा यूं तो रहने वाले चंबल के मुरैना के हैं, लेकिन मौजूदा वक्त में खजुराहो से सांसद हैं. वीडी शर्मा संघ का चेहरा हैं और अनुभव में प्रदेश अध्यक्ष के बाकी दावेदारों से काफी कम हैं.
बावजूद इसके संघ ने उनके नाम पर सहमति दी और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई. वीडी शर्मा के मुकाबले देखें तो बाकी के दावेदार फिर वो चाहें नरोत्तम मिश्रा हों, कैलाश विजयवर्गीय, प्रभात झा, फग्गन सिंह कुलस्ते, शिवराज सिंह चौहान या लाल सिंह आर्य अनुभव के मामले में काफी वरिष्ठ हैं. इनके मुकाबले वीडी शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना पार्टी में युवाओं को नेतृत्व सौंपने की ओर बढ़ाया गया कदम माना जा रहा है.
वीडी शर्मा ने सियासी तौर पर संघ के प्रचारक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी. वे 1996 से 2018 तक करीब 22 साल संघ प्रचारक रहे. 2018 के विधानसभा चुनाव में वीडी विधानसभा में टिकट के दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. बाद में 2019 में भोपाल लोकसभा सीट से उनके चुनाव लड़ने की अटकलें लगती रहीं, लेकिन पार्टी ने उन्हें बाहरी होने के बावजूद खजुराहो से टिकट दिया. बाद में भारी विरोध के बाद भी वीडी शर्मा ने खजुराहो से चुनाव जीता और संगठन में अपनी जगह और मजबूत कर ली. प्रदेश अध्यक्ष की रेस में वीडी शर्मा के आगे निकल जाने की वजह ये भी मानी जा रही है कि संघ अब बीजेपी में दिग्गज नेताओं से इतर नेतृत्व की लाइन-बी खड़ा करने पर काम कर रहा है.
वीडी शर्मा का प्रदेश अध्यक्ष बनना कई मायनों में खास है. जातिगत समीकरण के आधार पर देखें तो फिलहाल नेता प्रतिपक्ष के तौर पर गोपाल भार्गव ब्राह्मण चेहरा हैं. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पार्टी का ओबीसी चेहरा थे. इस लिहाज से माना जा रहा था कि प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर किसी आदिवासी या दलित चेहरे को मौका दिया जा सकता है, लेकिन ब्राह्मण चेहरे ने सबको चौंका दिया. प्रदेश अध्यक्ष के लिए काफी वक्त तक ये कयास लगाए जाते रहे कि हो सकता है कि पार्टी राकेश सिंह को दोबारा से मौका दे. ऐसा इसलिए भी क्योंकि राकेश सिंह का प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल अभी बाकी था, लेकिन तमाम अटकलों को किनारा करते हुए कमान वीडी शर्मा को सौंपी गई. ऐसे में अब ये माना जा रहा है कि जातिगत समीकरण साधने के लिए हो सकता है कि संगठन स्तर पर फिर कोई बड़ा बदलाव हो.