डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर मनाया छठ का पर्व
जोगी एक्सप्रेस
तपस गुप्ता
बिरसिंहपुर पाली डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर छठ का पर्व बडे धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर महिलाओ ने स्थानीय सगरा तालाब में डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया एवं घर परिवार के अमन चैन की मन्नत मांगी। विदित हो कि यह पर्व चार दिनों का होता है जो भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली गई। अगले दिन से उपवास आरम्भ हुआ। व्रति दिनभर अन्न.जल त्याग कर शाम करीब 7 बजे से खीर बनाकर पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते किया। जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण किया। आज अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
यह पर्व दिवाली के 6 दिन मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से मनाया जाता है। मंगलवार को ‘नहाय-खाय’ के साथ चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ प्रारंभ हुआ है। छठ पर्व को लेकर पूरे का माहौल भक्तिमय हो गया है। शहरों से लेकर गांवों तक में छठी मइया के कर्णप्रिय और पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं। छठ को लेकर सभी क्षेत्रों में सफाई की गई है तथा रोशनी की पुख्ता व्यवस्था की गई है। पर्व के तीसरे दिन गुरुवार शाम व्रतधारी जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। इसके अलावा यह देश के कई हिस्सों में भी मनाया जाता है। यह पर्व दूसरे देशों में भी मनाया जाता है। जैसे – मॉरिसस, नेपाल, अमेरिका आदि। मान्यता है कि छठ मइया अपने जातकों की रक्षा करती है और उनकी सभी मनोकामना पूरी करती है। माना जाता है कि छठ माता के गीत सुनने से सारी परेशानी दूर हो जाती है और मां की कृपा से उसका जीवन खुशहाल हो जाता है। छठ मइया के गीतों से सूर्य देवता की और छठ मइया की प्रार्थना की गई इस त्यौहार को लेकर महिलाओ में काफी उत्साह देखा गया ।