AICTE ने नये इंजीनियरिंग और फार्मेसी कालेज पर लगाया बैन
भोपाल
प्रदेश में इंजीनियरिंग लगातार बंद होते जा रहे हैं। जबकि फार्मेसी कालेजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इसलिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने नये कालेजों की मान्यता देने पर रोक लगा दी है। सिर्फ सरकार दोनों कालेज खोल पाएगी।
प्रदेश में इंजीनियरिंग के करीब डेढ सौ और फार्मेसी के सवा सौ कालेज संचालित हो रहे हैं। प्रदेश साथ देश में इंजीनियरिंग की हालात बहुत लचर बनी हुई है। वहीं फार्मेसी कालेजों में तेजी से इजाफा हो रहा है। इसलिए एआईसीटीई ने दोनों कोर्स की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए देशभर में नये इंजीनियरिंग और फार्मेसी कालेजों की मान्यता देने पर रोक लगा दी है। अब प्रदेश में कोई नया कालेज बीफार्मा और डीफार्मा कोर्स संचालित नहीं कर पाएगा। जबकि प्रदेश से एक इंजीनियरिंग कालेज बंद करने और एक फार्मेसी कालेज खोलने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग को आवेदन पहुंच चुके हैं।
सरकार भी नहीं खोल पाएगी कालेज
एआईसीटीई ने राज्य सरकारों को इंजीनियरिंग और फार्मेसी कालेज खोलने की इजाजत दी है। बशर्ते की वह ग्रामीण क्षेत्र में कालेज खोलने में सिर्फ अपना पैसे लगाएगी। सरकार पीपीपी मोड पर कालेज नहीं खोल पाएगी। सिर्फ शिवपुरी में पीपीपी मोड पर इंजीनियरिंग कालेज संचालित हो रहा है।
फार्मेसी में नहीं इंट्रेंस एग्जाम
तकनीकी शिक्षा विभाग ने चार साल पहले व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) प्री फार्मेसी टेस्ट (पीएफटी) को बंद कर दिया था। सिर्फ 12वीं के आधार पर प्रवेश हो रदेने की व्यावस्था लागू की थी। जबकि प्री इंजीनियरिंग टेस्ट पीईटी बंद होने के बाद जेईई मैंस और 12वीं के आधार पर प्रवेश दिए जा रहे हैं। कालेज पीएफटी दोबार शुरू कराने की मांग कर रहे हैं।
क्या है फीस और सीटों की व्यवस्था
प्रवेश एंव फीस विनियामक समिति ने डीफार्मा और बीफार्मा की फीस तय कराने के लिए आवेदन जमा कराएगा। वर्तमान में डीफार्मा की न्यूनतम फीस 13 हजार 250 और अधिकतम फीस 23 हजार 250 रुपए सालाना निर्धारित है। बीफार्मा की न्यूनतम फीस 18 हजार 500 और 31 हजार 500 अधिकत फीस हजार रुपए सालाना तय है।
दनादन बांटी अनुमति
एआईसीटीई ने गत वर्ष तक दनादन बिना कोई आपत्ति के डिप्लोमा और डिग्री के लिए अनुमति दी हैं। इससे दोनों कोर्स की गुणवत्ता में गिरावट शुरू हो सकती थी, लेकिन एआईसीटीई ने समय रहते अनुमति देने पर रोक लगा दी है। ऐसा बताया गया है कि जिन कालेजों में बीफार्मा की अनुमति दी गई थी। उन्हीं कालेजों में डीफार्मा की अनुमति दी गई। डिप्लोमा में उन्हीं लैब और फैकल्टी को दिखाकर मान्यता ली जा रही है, जो बीफार्मा की अनुमति लेने के लिए उपयोग की गई थी।
यूपी में बढ़ती एमपी डिप्लोमा की चाह
उत्तर प्रदेश में बीफार्मा या डीफार्मा करने वाले को ही मेडिकल स्टोर खोलने की स्वीकृति दी जाएगी। वहीं मप्र में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) बनने के लिए डिग्री या डिप्लोमा अनिवार्य किया गया है। यही कारण है कि प्रदेश में कालेज बढ़ने के साथ सीटों में बढ़ोतरी होने लगी है। 2009 से डीफार्मा और बीफार्मा के कालेजों में काफी गिरावट आई है। डिप्लोमा और डिग्री की अनिवार्यता के कारण उनकी मांग अब प्रदेश में बढ़ने लगी है। यही कारण कि गत वर्ष दोनों कोर्स की लगभग सभी सीटों पर प्रवेश हुए थे।
वर्जन
एआईसीटीई ने निजी इंजीरियरिंग और फार्मेसी कालेजों को खोलने पर रोक लगाई है। कुछ खास ब्रांच में अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा सिर्फ सरकारी कालेज खुल सकेंगे।
अनिल सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष, एआईसीटीई