बारिश में खराब हो सकता है 27 लाख मीट्रिक टन धान, मौसम विभाग की चेतावनी बेअसर
रायपुर
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन यहां सबसे ज्यादा धान की बर्बादी हर साल होती है. सरकार चाहे कोई भी हो अन्न का एक-एक दाना खरीदने की बात तो करती है, मगर एक बेमौसम बारिश सरकार और खास कर खाद्य विभाग की पोल खोल कर रख देती है. धान खरीदी केन्द्रों में रखे धान भीग कर बर्बाद होने की कगार पर है और जवाबदार अधिकारी आंखे मूंदे हुए हैं. जानकारों की मानें तो 15 सालों तक भाजपा सत्ता में रही, लेकिन किसानों की नाराजगी की वजह से भाजपा को सत्ता से दूर होना पड़ा. इधर, कांग्रेस सरकार के धान पर बोनस के ऐलान के बाद किसानों ने सरकार पर भरोसा किया. अब हालात ऐसे है कि धान खरीदी केन्द्रों में अव्यवस्था सर चढ़ कर बोल रहा है. टोकन, लिमिटेशन तय करने से पहले भी किसान हताश और परेशान हुए, अब उनकी परेशानी मौसम ने भी बढ़ा दी है.
राज्य सरकार ने इस साल 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी करने का लक्ष्य रखा है. पिछले साल 80 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी. इस वर्ष 70 लाख 30 हजार 338 मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है. राज्य के मिलरों को 33 लाख 58 हजार 275.90 लाख मीट्रिक टन धान दिया गया है. वहीं उपार्जन केन्द्रों में 27 लाख 51 हजार 294 लाख मेट्रिक टन धान बाहर में रखा हुआ है. धान के एवज में 14 लाख 68 हजार 728 मीट्रिक टन चावल जमा हो चुका है.
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने शनिवार को मंदिर हसौद सहित आरंग के धान खरीदी केन्द्रों का निरीक्षण किया. धान खरीदी केन्द्र समिति प्रबंधकों को धान के रख रखाव के लिए आवश्यक निर्देश दिए. खाद्यमंत्री ने कहा कि धान खरीदी की तारीख बढ़ाया जाएगा या नहीं ये कैबिनेट में तय होगा. तो दूसरी ओर किसानों के धान अभी भी खलिहान में है और भीग रहे है. धान खरीदी की अंतिम तारीख 15 फरवरी है. समयसीमा खत्म हो रही है, धान बरसात में भीग रहा है. ऐसे में किसानों को काफी परेशानी इस बात से हो रही है कि चार दिनों से धान बरसात की वजह से बीक नहीं पा रहा.