राजस्व बढ़ाने के लिए प्रत्येक जिले के शराब दुकानों का युक्तियुक्तकरण
ग्वालियर
घाटे की शराब दुकानों को सस्ते में लेने की ठेकेदारों की प्लानिंग को आबकारी विभाग के अनुभवी अफसरों ने फेल कर दिया है। राजस्व बढ़ाने के लिए प्रत्येक जिले के शराब दुकानों का युक्तियुक्तकरण कर दिया गया है। इसके तहत नए सिरे से शराब ठेकों के ग्रुप बनाए गए हैं। इसमें फायदे की शराब दुकानों के साथ घाटे की दुकानों को जोड़ दिया गया है।
इससे नीलामी प्रक्रिया के के दौरान ठेकेदारों के दौरान न चाहते हुए भी घाटे की शराब दुकानों को ज्यादा बिक्री वाली फायदेवाली दुकानों के साथ में लेना ही होगा। इससे सीधे तौर पर आबकारी विभाग को राजस्व का लाभ होगा। घाटे का रोना रोते हुए ठेकेदार जिन शराब दुकानों के लिए टेंडर नहीं डालते थे। ऐसी घाटे की दुकानों को चयनित करके उन दुकानों के ग्रुप में शामिल किया है,जो शराब दुकानें ठेकेदारों की पहली पसंद होती हैं। इन दुकानों को लेने ठेकेदारों में होड़ मची रहती है।
शराब ठेकों के युक्तियुक्तिकरण से उन बड़े शराब ठेकेदारों को झटका लगा है,जो मोनोपॉली करके घाटे की शराब दुकानों के सस्ते में लेते थे। जिन दुकानों में शराब की बिक्री कम होती है,उनके लिए कोई भी ठेकेदार शरुआत में टेंडर डालते ही नहीं। बाद में जब शासन द्वारा इन दुकानों की लायसेंस फीस कम कर दी जाती थी,तब टेंडर डालकर दुकानों को ले लिया जाता था। आबकारी अफसरों ने ज्यादा राजस्व जुटाने के लिए ठेकेदारों की मोनोपॉली तोड़ने का रास्ता निकाला लिया। इसके तहत दुकानों का युक्तियुक्तिकरण किया गया है।