पीड़ित परिवार ने सुनाई धार मॉब लिंचिंग की पूरी कहानी, पुलिस पर मदद न करने का आरोप
धार
धार के मनावर में हुई मॉब लिंचिंग (Mob lynching) के पीड़ित परिवारों ने घटना की पूरी कहानी बतायी है. मामला मजदूरी के पैसे के लेन-देन का था. एक अफवाह ने इस जघन्य कांड को अंजाम दे दिया. पीड़ित परिवार का कहना है अगर पुलिस (police) ने मदद की होती तो ये घटना नहीं होती. पीड़ित परिवार ने आरोपियों को फांसी की सज़ा देने की मांग की है. .
धार के मनावर में मॉब लिंचिग की घटना के बाद पीड़ित परिवार सदमे में हैं. परिवार का कहना है दो गाड़ियों में किसान तिरला क्षेत्र के खिड़किया गांव पहुंचे थे. इसकी सूचना उन्होंने धार के तिरला थाने को दी थी. लेकिन पुलिस ने मदद नहीं की. गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी तो ये लोग बचकर भागने लगे. ग्रामीणों ने फोन करके बोरलाई गांव के लोगों को बताया कि कुछ लोग बच्चा चुराकर कार से भाग रहे हैं.बस बिना कुछ समझे बोरलाई गांव के लोगों ने उन्हें रोककर पीटना शुरू कर दिया. जबकि वो अपना आईकार्ड दिखाते रहे और गिड़गिड़ाते रहे लेकिन किसी ने भी रहम नहीं किया.
घायलों युवकों के रिश्तेदार राहुल चौधरी का कहना है पुलिस प्रोटेक्शन मिल जाता तो ये घटना नहीं होती. इनके साथ गांव का एक मजदूर था जो इनको लेकर गया था.वो पहले ही कार से उतरकर भाग गया. पूरी प्लानिंग के साथ इस वारदात को अंजाम दिया गया.गांव के लोग वहशी बन गए और जानवरों से ज्यादा बुरा सलूक किया. इस घटना के दोषियों को फांसी की सजा देना चाहिए जिससे आगे किसी के साथ इस तरह की घटना न हो.
पीड़ित के रिश्तेदार विशाल मुकाती ने बताया कि सोयाबीन की फसल के समय मजदूरी के लिए लोगों को रखा गया था. उन लोगों ने पांच छह लोगों से 50 से 60 हजार रुपए एडवांस ले लिए और फिर 15 से 20 दिन तक काम करने के बाद सारे मजदूर भाग गए. शिकायत करने पर पुलिस ने पूछताछ की तो इन मजदूरों ने पैसा वापस करने का भरोसा दिलाया. दो दिन बाद हमारे लोग पैसा वापस लेने गांव पहुंचे. गांव पहुंचने से पहले तिरला थाने मे सूचना दी. पुलिस ने कहा वे राजीनामा करना चाहते हैं इसलिए चले जाओ.लेकिन इनके पहुंचने से पहले गांव वालों ने बच्चा चोर गिरोह की अफवाह फैला दी. बस इन युवकों के वहां पहुंचते ही गांव वालों ने पत्थर बरसाना शुरू कर दिए और बाद में लाठी-डंडे लेकर टूट पड़े.
पुलिस ने नहीं की मददपीड़ित परिवार का कहना है पुलिस को फोन लगाने के बावजूद कोई मदद नहीं मिली. पुलिस प्रशासन थोड़ा भी मदद करती तो ये हादसा नहीं होता. पुलिस के दो जवान पहुंचे लेकिन उनके सामने ही भीड़ मारती रही.