November 23, 2024

​गर्भावस्था में तुलसी खाएं या नहीं

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प्रेग्नेंसी में तुलसी पत्ता खाना चाहिए या नहीं, जानें फायदे और नुकसान दोनोंतुलसी एक ऐसा पौधा है जो हर घर में जरूर होता है। धार्मिक वजहों के साथ-साथ तुलसी को घर में लगाने के सेहत से जुड़े ढेरों फायदे भी हैं। औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी को तो आयुर्वेद में बेस्ट रेमेडी और बेहतरीन जड़ी बूटी के तौर पर माना जाता है। तुलसी में ऐंटी-इन्फ्लेमेट्री प्रॉपर्टीज होती हैं जिस वजह से तुलसी दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम करती है, आर्थराइटिस की दिक्कत दूर करने में मददगार है, सर्दी-खांसी और कफ दूर करने में तो तुलसी को रामबाण के तौर पर माना जाता है। इतने सारे फायदों वाली तुलसी को लेकर कभी आपने सोचा भी नहीं होगा कि इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं।

हर दिन सुबह खाली पेट तुलसी का एक पत्ता चबाने से सिरदर्द दूर होता है, फीवर में आराम मिलता है, गला खराब हो या फिर गले में दर्द हो रहा हो तो ये समस्या भी दूर कर देता है तुलसी का पत्ता। लेकिन क्या प्रेग्नेंसी यानी गर्भावस्था में तुलसी का सेवन करना चाहिए। कोई कहता है कि प्रेग्नेंसी में तुलसी खाने का कोई नुकसान नहीं है तो किसी की मानें तो गर्भवती महिला को तुलसी का पता नहीं खाना चाहिए। आखिर क्या है सच, ये हम आपको बता रहे हैं गर्भावस्था में तुलसी खाने के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में।

तुलसी खाने के फायदे-ब्लड क्लॉटिंग में मददगार
तुलसी के पत्तों में विटमिन के भरपूर मात्रा में होता है जो प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे को सेफ करने में मदद करता है। विटमिन के ब्लड क्लॉट बनाता है जिससे ब्लड लॉस का खतरा कम होता है। साथ ही साथ प्रेग्नेंस महिलाओं को अधिक खून की जरूरत होती है और तुलसी के सेवन से शरीर में ब्लड सप्लाई बढ़ती है जिससे भ्रूण के विकास में मदद मिलती है।

अतिरिक्त खून बनाने में मददगार
तुलसी में मौजूद फॉलेट शरीर में अतिरिक्त खून बनाने में मदद करता है जिसकी प्रेग्नेंसी के दौरान बेहद जरूरत होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान अगर होने वाली मां के शरीर में खून की कमी हो जाए तो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है। लिहाजा तुलसी का सेवन यहां फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि तुलसी के सेवन से शरीर में खून ज्यादा बनने लगता है।

अनीमिया होने से रोकती है तुलसी
तुलसी के पत्ते आयरन का भी बेहतरीन सोर्स हैं और आयरन के सेवन से खून में हीमॉग्लोबिन का स्तर बढ़ता है, रेड ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ती है जिसकी प्रेग्नेंसी में बहुत ज्यादा जरूरत होती है। लिहाजा तुलसी के सेवन से प्रेग्नेंसी के दौरान अनीमिया होने का खतरा काफी कम हो जाता है। साथ ही साथ तुलसी के सेवन से एनर्जी भी मिलती है जिससे थकान नहीं होती।

इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार
तुलसी में विटमिन ई, सी, राइबोफ्लेविन, नियासिन और कई दूसरे विटमिन्स भी पाए जाते हैं और साथ ही इसमें जिंक, फॉस्फॉरस, कॉपर, मैग्नीशियम आदि भी होते हैं जिस वजह से तुलसी हमारी इम्यूनिटी यानी बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचाकर इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करती है तुलसी जिससे प्रेग्नेंसी हेल्दी रहती है और गर्भ में पल रहा बच्चा भी।

​तुलसी खाने के नुकसान- गर्भाशय में सिकुड़न हो सकती है
तुलसी का सेवन करने से कई बार यूट्रस यानी गर्भाशय में कॉन्ट्रैक्शन्स यानी सिकुड़न और मरोड़ आने लगती है। लेकिन इस बारे में अब तक किसी भी स्टडी में कोई बात साफतौर पर सामने नहीं आयी है। शायद यही वजह है कि बहुत से डॉक्टर्स प्रेग्नेंट महिलाओं को तुलसी का सेवन बिलकुल न करने की सलाह देते हैं।

शुगर लेवल हो सकता है कम
दरअसल, तुलसी के पत्ते का अगर बहुत ज्यादा मात्रा में सेवन किया जाए तो इससे शरीर में हानिकारक हाइपोग्लाइसिमिक इफेक्ट हो सकते हैं यानी साधारण शब्दों में समझें तो बहुत ज्यादा तुलसी खाने से शरीर में ब्लड शुगर लेवल की कमी हो सकती है। जिस वजह से चक्कर आ सकते हैं, इरिटेशन फील हो सकता है और घबराहट भी महसूस हो सकती है।

सेहत से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं
तुलसी में यूजेनॉल होता है जिस वजह से हार्ट रेट बढ़ सकता है, मुंह में छाले हो सकते हैं, चक्कर आ सकता है और शायद इस वजह से भी डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को तुलसी का सेवन करने से मना करते हैं।

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