Republic Day 2020: वो ‘असली निर्माता’, जिन्होंने अपने हाथों से लिखा दुनिया का सबसे बड़ा संविधान
नई दिल्ली
भारतीय संविधान के निर्माता का जिक्र आते ही डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का नाम हमारे जेहन में सबसे पहले आता है। निश्चित तौर पर ड्राफ्ट कमेटी के चेयरमैन होने के नाते बाबा साहेब ही हमारे संविधान के वास्तुकार थे। मगर क्या आप उस शख्स को जानते हैं, जिन्होंने कड़ी मेहनत कर पूरे संविधान को अपने हाथों से कागज पर उकेरा?
26 नवंबर, 1949 को भारतीय संविधान तैयार हुआ। कई लोगों के अथक परिश्रम का ही फल था कि संविधान की मूल प्रति किसी कलाकृति सी बनी। नंदलाल बोस और उनके छात्रों ने अपनी पेंटिंग से खूबसूरत बनाया, तो प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपनी लेखनी से इसमें चार चांद लगा दिए। उन्होंने अपनी कैलिग्राफी से संविधान की शुरुआती सामग्री और उसकी प्रस्तावना लिखी। रायजादा ने इटेलिक शैली में बेहद खूबसूरती से संविधान लिखा, जिसमें उन्होंने एक भी गलती नहीं की।
दादा से सीखी कैलिग्राफी
- प्रेम बिहारी के परिवार में कैलिग्राफी की परंपरा थी। कम उम्र माता-पिता को खो देने के बाद उनका पालन पोषण दादा जी और चाचा जी ने किया।
- उनके दादा मास्टर राम प्रसाद जी सक्सेना अच्छे कैलिग्राफर होने के साथ फारसी और अंग्रेजी के अच्छे जानकार थे। वह कई अंग्रेज अफसरों को भी फारसी सिखाते थे।
- प्रेम बिहारी जी ने कैलिग्राफी अपने दादाजी से ही सीखी।
नेहरू से कहा मेहनताना नहीं लूंगा, बस…
- देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सुंदर लेखनी के साथ इसे लिखने के लिए रायजादा से संपर्क किया।
- खास बात यह है कि उन्होंने इसके लिए एक पैसा नहीं लिया।
- रायजादा ने नेहरू से कहा कि वह संविधान लिखने के लिए एक भी पैसा नहीं लेंगे। बस हरके पन्ने पर उनका नाम और अंतिम पृष्ठ पर उनके साथ उनके दादा का नाम लिखने की इजाजत दी जाए, जिसे नेहरू ने मान लिया।
छह महीने की मेहनत :
- रायजादा को इस काम के लिए संविधान भवन में अलग से कक्ष उपलब्ध कराया। बाद में यही कमरा कॉन्स्टिट्यूशन क्लब कहलाया।
- 8 शेड्यूल, 395 अनुच्छेद और संविधान की प्रस्तावना को लिखने के लिए उन्हें छह महीने का समय लगा।
432 पेन की निब का प्रयोग
- प्रेम बिहारी नारायण रायजादा की मेहनत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इस दौरान सैकड़ों निब का प्रयोग किया।
- जानकारी के मुताबिक उन्होंने 432 पेन की निब का उपयोग किया।
- भारतीय संविधान की मूल प्रति जो उन्होंने तैयार की, उसमें 251 पन्ने हैं और इसका वजन 3.75 किलो है।
मूल प्रति पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर
- भारतीय संविधान की हस्तलिपि पर 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के सभी सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर किए।
- सबसे पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने इस पर हस्ताक्षर किए। जबकि अंतिम हस्ताक्षर संविधान सभा के अध्यक्ष फिरोज गांधी ने किए।