पृथ्वीराज चव्हाण के 2014 में सरकार बनाने के दावे को खारिज कर बोली शिवसेना- उनकी बातों में कोई तर्क ही नहीं
,नई दिल्ल
शिवसेना ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण के उस दावे को बुधवार को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भी उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भाजपा को रोकने के लिए मिलकर सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया था। शिवसेना ने उन दावों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे प्रस्ताव की उस समय कोई अहमियत नहीं थी। शिवसेना ने यह भी कहा कि कांग्रेस और राकांपा के साथ पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद गठन भी इसलिए हुआ क्योंकि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने ''भाजपा की राजनीतिक साजिश सफल नहीं होने दी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गठबंधन के प्रस्ताव को ठुकराया नहीं। महाराष्ट्र में पिछले साल नवम्बर के आखिर में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी।
चव्हाण ने पिछले सप्ताह दिए एक साक्षात्कार में दावा किया था 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद भी उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भाजपा को रोकने के लिए मिलकर सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया था जिससे कांग्रेस ने तत्काल इनकार कर दिया था। शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के सम्पादकीय में इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा ने 2014 के राज्य विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़े थे।
उसने कहा, 'चव्हाण की बातों में कोई तर्क नहीं है। उनका यह दावा हवा हो जाना चाहिए था। शिवेसना और राकांपा उनके दावों को गंभीरता से नहीं लेती। लेकिन भाजपा के देवेंन्द्र फडणवीस ने शिवसेना की आलोचना करते हुए कहा कि चव्हाण ने पार्टी का पर्दाफाश कर दिया। विधानसभा में विपक्ष के नेता फडणवीस ने सोमवार को कहा था, 'चव्हाण ने जो कहा, वह बहुत ही आश्चर्यजनक है। उनके इस बयान को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इस खुलासे से शिवसेना का असली चेहरा सामने आया है।'
गौरतलब है कि 2014 विधानसभा चुनाव भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा ने अलग-अलग लड़ा था। भाजपा को 122, शिवसेना को 63, कांग्रेस को 42 और राकांपा को 41 सीटें हासिल हुई थीं। शुरू में कुछ महीने तक भाजपा ने अकेले सरकार चलाई और फिर शिवसेना सरकार का हिस्सा बन गई थी। चव्हाण के नेतृत्व में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई थी और वह तीसरे नंबर पर रही थी।
उसने कहा, 'सरकार गठन के लिए कांग्रेस से सम्पर्क करने का सवाल ही नहीं उठता। शिवसेना ने विपक्ष में रहने का मन बना लिया था। शिवसेना ने सम्पादकीय में कहा कि 2014 के चुनाव के बाद राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने भाजपा को सहयोग देने की पेशकश की थी। उसने दावा कि यह भाजपा का ''असली चेहरा है जिसने विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना से संबंध तोड़ लिए थे।
सामना ने कहा, 'अगर तीनों पार्टी भी साथ आ जातीं तो भी आंकड़ा बहुमत (145) के बेहद करीब होता। यह खतरनाक होता और भाजपा सरकार गिराने की कोशिश करती। शिवसेना ने दावा कि पिछले साल विधानसभा चुनाव में 105 सीटें हासिल करने के बाद भी भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा क्योंकि 'उसका असली चेहरा अभी पूरी तरह सामने नहीं आया है।' उसने कहा, 'इस बार महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सरकार बनी क्योंकि शरद पवार ने भाजपा की राजनीतिक साजिश कामयाब नहीं होने दी और सोनिया गांधी ने गठबंधन का प्रस्ताव ठुकराया नहीं। 2014 में ऐसे किसी प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं था।'