25 मार्च से 8 अप्रैल के बीच शुरू करें राम मंदिर निर्माण : विश्व हिन्दू परिषद
प्रयागराज
विश्व हिन्दू परिषद ने सरकार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत चैत्र नवरात्र के आरंभ (25 मार्च) से हनुमान जयंती (8 अप्रैल) के बीच किसी दिन करने की सलाह दी है। संतों ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए जल्द से जल्द मंदिर निर्माण शुरू करने की बात कही। माघ मेला क्षेत्र स्थित शिविर में मंगलवार को आयोजित संत सम्मेलन में विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने विश्वास जताया कि उनके नक्शे और तराशे पत्थरों से ही मंदिर निर्माण होगा।
मंदिर निर्माण में प्रत्येक हिन्दू का धन लगेगा। जिन संतों ने आंदोलन किया, उनकी देखरेख में ही मंदिर बनेगा। इस दौरान जिन 3.75 लाख गांवों से पूजित रामशिलाएं लाई गईं वहां रामोत्सव मनाएंगे। भगवान श्रीराम और मंदिर की तस्वीर लेकर गांव-गांव शोभायात्राएं निकालकर आनंद की सामूहिक अभिव्यक्ति करेंगे। क्योंकि फैसले के दिन 9 नवंबर को हमने अपने आनंद की अभिव्यक्ति नहीं की थी।
विहिप केंद्रीय प्रबंध समिति के सदस्य दिनेश चंद्र ने कहा कि 9 नवंबर को फैसले के बाद रामजन्मभूमि न्यास समेत चार संस्थाओं ने मंदिर निर्माण का जिम्मा देने के लिए आवेदन किया है। सरकार ने 22-23 बिन्दुओं जैसे कितने पत्थर तराशे गए, कितना पैसा लग चुका, न्यास के खाते का तीन साल का ब्योरा आदि पर हमसे जानकारी मांगी है। इसका जवाब हमने दिया है। हमने अनुरोध किया है कि राम मंदिर ट्रस्ट बनाने में उनकी भावनाओं का ध्यान रखें जिन्होंने संघर्ष किया है। अध्यक्षता राममंदिर न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास ने की।
रामजन्मभूमि न्यास के द्वारा ही होगा मंदिर निर्माण: महंत नृत्यगोपालदास
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि रामजन्मभूमि न्यास द्वारा ही मंदिर का निर्माण होगा। उनके मॉडल पर ही मंदिर बनेगा। रामलला जहां विराजमान हैं वहां शीघ्र मंदिर निर्माण शुरू होना चाहिए, ऐसी इच्छा संत समाज और लाखों-करोड़ों हिन्दुओं की है। ऐसा वातावरण फिर नहीं मिलेगा। मोदी-योगी के समय में निर्माण शुरू हो जाना चाहिए।
विहिप के मॉडल पर नहीं बना मंदिर तो दूर से करेंगे प्रणाम: वासुदेवानंद
स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने दो टूक कहा कि विहिप के मॉडल पर राम मंदिर नहीं बना तो सरयू में स्नान कर दूर से ही प्रणाम कर लेंगे। इसी मॉडल पर मंदिर बने और रामलला हम सभी को दर्शन दें। नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वाले देश को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं। लेकिन ऐसा षड़यंत्र करने वाले भ्रम में न रहें। ये 1947 का भारत नहीं। वो ये सोचें कि सिन्ध और बलूचिस्तान कैसे बचेगा।