शहडोल,बुढ़ार,अखिलेश मिश्रा , मध्यप्रदेश के शहडोल में सिस्टम और मानवता को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है। जब पूरा देश जगमगाती रोशनी में दीपावली पर्व मनायेगा तब शहडोल का एक परिवार भूखे पेट रहकर किसी तरह एक और अंधेरी रात कट जाने की राह देख रहा होगा। के चौराडीह गांव में एक पिता और पुत्र की जिंदगी खटिया में सिमट कर रह गई है। आर्थिक तंगी के कारण जहाँ बेटियों ने स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी वहीं लाचार बेबस माँ पति और बेटे के इलाज के लिए खड़ी फसल वाली खेत तक को बेच चुकी है। रोशनी के इस जगमगाते पर्व को मनाने के लिए, अपने घर को एक दिया से रोशन करने को इस परिवार के पास राशि तक नहीं है। नतीजन परिवार ने प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से मदद की गुहार लगाई है।
परिवार के मुखिया रघुनंदन विश्वकर्मा शारीरिक रूप से अपंग हो गए हैं! पिछले चार सालों से वो बिस्तर से उठ भी नहीं सकते। ऐसे में घर की जिम्मेदारी बड़े बेटे शैलेन्द्र के ऊपर आ गई। उसने 10 तक पढ़ाई करने के बाद परिवार को पालने पोषने की जिमेदारी उठा ली। तभी 13 सितम्बर को काम के दौरान वह करंट की चपेट में आने से 80 फीसदी से ज्यादा जल गया।
जिनके आधीन रहकर वह मेहनत मजदूरी करता था किसी ने मदद नहीं की। नतीजन माँ माया विश्वकर्मा को अपने बेटे की जान बचाने के लिए खड़ी फसल वाले खेत को बेचना पड़ा। अब पीड़ित परिवार के पास इस वक़्त से उस वक़्त के लिए भोजन तक नहीं है। बेटे और पति का इलाज कराने के लिए पीड़ित परिवार को आज तक कोई सरकारी मदद नहीं मिल सकी है। नतीजन पीड़ित परिवार ने तंग आकर प्रशासन से सामूहिक आत्मदाह की अनुमति मांगी है।
घर मे दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी सोनाली ने कक्षा 9 वीं की पढ़ाई आधे में छोड़कर स्कूल जाना बंद कर दिया है। वहीं छोटी बेटी श्रध्दा भी कक्षा 7वीं की पढ़ाई छोड़ने की कगार पर आ पहुँची है। बेटियां पढ़ तो सरकारी स्कूल में रहीं थी लेकिन उनके पास पेन और कापियां तक खरीदने को पैसे नहीं हैं।
सामने दीपावली का त्योहार देख परिवार और ज्यादा परेशान है।एक ओर कोई सरकारी मदद नहीं तो दूसरी ओर घर में खाने को तो जून की रोटी नहीं। ऐसे में पीड़ित परिवार को सूबे के मुखिया शिवराज का ही सहारा दिख रहा है। शायद उनकी नज़र इस गरीब परिवार पर भी पड़े और इनकी दीवाली भी खुशियों के रंग से रोशन हो सके।