November 23, 2024

गरीब मरीजों के लिए नहीं कोई और ठिकाना, कैंसर केयर वार्ड जैसा बन गया है मुंबई का फ्लाइओवर

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 मुंबई
जब यूपी के इटावा के रहने वाले सुखबीर सिंह (25) को पेट के कैंसर की सर्जरी के बाद दिसंबर में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल से डिस्‍चार्ज किया गया तो डॉक्‍टरों ने उनकी पत्‍नी को कई हिदायतें दी थीं। डॉक्‍टरों ने उनसे कहा कि पति को इन्‍फेशन से बचाने के लिए उन्‍हें धूल से दूर साफ-सुथरे वातावरण में रखें और बेड रेस्‍ट करें। टाटा मेमोरियल देश के सबसे बड़े कैंसर ट्रीटमेंट इंस्‍टीट्यूट में से एक है। यहां हर साल 65 हार कैंसर के नए मरीज आते हैं। इनके अलावा करीब 4.5 लाख मरीज फॉलोअप के लिए आते हैं।
ममता के थके चेहरे पर फीकी सी मुस्‍कान है। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के पास हिंदमाता फ्लाइओवर के नीचे धूल भरे कंक्रीट के फर्श पर बिछी चटाई पर सुखबीर लेटे हैं। उनके दोनों तरफ ट्रैफिक दिनरात चलता रहता है जिसके चलते उनकी नींद बार-बार टूटती है।
 
फ्लाइओवर बना अस्‍थायी ठिकाना
सुखबीर टाटा मेमोरियल के उन सौ से ज्‍यादा मरीजों में से हैं जिन्‍होंने इस फ्लाइओवर को अपना अस्‍थायी घर बना लिया है। यहां लगभग हर तरह के कैंसर का मरीज मिल जाएगा। यहां एक महिला है जिसका ब्रेस्‍ट कैंसर की सर्जरी हुई है, ओरल कैंसर वाले मरीज हैं, बोन मैरो ट्रांस्‍प्‍लांट वाले मरीज भी और ऐसे मरीज भी जो सर्जरी के लिए अपने नंबर का इंतजार कर रहे हैं। इन मरीजों के लिए यह फ्लाइओवर टाटा मेमोरियल का पोस्‍ट ऑपरेटिव वॉर्ड की तरह है।

इनमें से सभी दूर के प्रदेशों के रहने वाले
लेकिन इनमें से कोई भी वापस अपने घर लौटकर जाने की हालत में नहीं है। क्‍योंकि ये मध्‍य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार और यूपी जैसे दूर के प्रदेशों से आए हैं। इसके अलावा सर्जरी के बाद हर सप्‍ताह या पंद्रह दिनों में इन्‍हें फॉलोअप के लिए डॉक्‍टरों को दिखाने आना पड़ता है, जो कि लगभग नामुमकिन काम है। ये इतने गरीब हैं कि धर्मशालाओं में हर रोज 100 रुपयों का किराया भी नहीं दे सकते।
 
कुछ बीच में इलाज छोड़ जाते हैं
जिन अस्‍पतालओं और चैरिटेबल संस्‍थानों में मरीजों के मुफ्त रहने की व्‍यवस्‍था है वहां जगह नहीं है। यहां तक कि अस्‍पताल के बाहर वाले फुटपाथ भी एक इंच खाली नहीं हैं। टाटा मेमोरियल के कुछ डॉक्‍टर अपनी पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताते हैं कि कुछ मरीज अपना इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं क्‍योंकि इस शहर में टिके रहना बहुत मुश्किल है।
बीएमसी इसकी ओर से उदासीन
टाटा मेमोरियल के प्रवक्‍ता डॉ. एसएच जाफरी का कहना है, 'कुछ साल पहले अस्‍पताल ने बृहन्‍मुंबई नगर पालिका (बीएमसी) से हिंदमाता और लालबाग फ्लाइओवर को गरीब मरीजों के शरणस्‍थल के तौर पर विकसित करने की अनुमति मांगी थी लेकिन आजतक इसका कोई जवाब नहीं मिला।'

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