MPPSC की परीक्षा में भील जनजाति पर किए सवाल पर विवाद, पेपर सेटर और मॉडरेटर को नोटिस जारी

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इंदौर
 पीएससी की रविवार को हुई परीक्षा में भील समुदाय को लेकर पूछे गए आपत्तिजनक सवाल ने अब तूल पकड़ लिया है। मामले को लेकर कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने मुख्यमंत्री कमल नाथ को सदन में खेद प्रकट करने की मांग कर दी है। दूसरी ओर मामले में पीएससी चेयरमैन भास्कर चौबे ने भी बयान जारी किया है। मीडिया सामने उन्होंने कहा कि पीएससी ने इस मामले को संज्ञान में लेकर पेपर सेटर और मॉडरेटर को नोटिस जारी किए हैं। उनके जवाब मिलने के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी।

पेपर तैयार होने के बाद आयोग का कोई भी सदस्य उसे नहीं देख पाता है। परीक्षा होने के बाद ही हम पेपर देख सकते हैं। एफआईआर के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह कोई आपराधिक प्रकरण नहीं है। इसलिए पीएससी किसी के खिलाफ एफआईआर नहीं करा सकती। गौरतलब है कि आयोग की ओर से स्पष्ट निर्देश रहते हैं कि किसी भी धर्म, संप्रदाय को लेकर सवाल न पूछे जाएं।

जयस के छात्रों ने पीएससी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन भी किया। पंधाना के भाजपा विधायक राम दांगोरे भी परीक्षा में शामिल हुए थे। उन्होंने भी भील समाज को लेकर आए प्रश्नों पर विरोध जताया। उन्होंने भाजपा कार्यालय पर काला कपड़ा दिखाकर नारेबाजी भी की।

राज्य सेवा परीक्षा में भील जनजाति को लेकर आए गद्यांश पर विवाद उपजा है। गद्यांश ४ के आधार पर सवालों के जवाब देना थे। इस गद्यांश में मुख्य रूप से लिखा गया कि ‘भील निर्धन जनजाति है। भीलों की आर्थिक विपन्नता का प्रमुख कारण आय से अधिक व्यय करना है। भील वधू मूल्य रूपी पत्थर से बंधी शराब के अथाह सागर में डूबती जा रही जनजाति है। भीलों की आपराधिक प्रवृत्ति का भी एक प्रमुख कारण यह है कि सामान्य आय से अपनी देनदारियां पूरी नहीं कर पाते। फलत: धन उपार्जन की आशा में गैर वैधानिक तथा अनैतिक कामों में भी संलिप्त हो जाते हैं।’ पूरी जनजाति को लेकर पूर्वाग्रह के इस सवाल पर कई अभ्यर्थियों के साथ-साथ अन्य लोग भी नाराजगी दर्ज करा रहे हैं।

 

 

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