November 22, 2024

दुनिया की वो रहस्यमय नदी, जो अब नजर ही नहीं आती

0

उत्तरी आयरलैंड की राजधानी बेलफास्टकी सड़कों से हर रोजाना जाने कितने लोग गुजरते हैं, लेकिन इनमें से शायद कुछ ही ये बात जानते हों कि उनके पैरों तले 170 साल पुराना एक राज छिपा है। इस जगमगाते शहर के ठीक नीचे बहती है, फारसेट नदी। इस नदी के नाम पर ही इस शहर का नाम बेलफास्ट रखा गया है। बेलफास्ट की तरक्की और समृद्धि में भी इस नदी का अहम रोल है। लेकिन आज ये नदी दुनिया की नजरों से ओझल होकर खामोशी से जमीन के नीचे बहती है।

आयरलैंड के प्राचीन इतिहास के प्रोफेसर और 'रिवर ऑफ बेलफास्ट: ए हिस्ट्री' के लेखक डेस ओ राइली कहते हैं कि शहर के व्यापारिक केंद्र हाई स्ट्रीट में अगर आज किसी से इस नदी के बारे में पूछा जाए, तो हो सकता है कोई भी इसका जवाब ना दे पाए। आज लोग ये भूल चुके हैं कि बेलफास्ट को शहर की शक्ल में पनपने का मौका फारसेट नदी ने ही दिया था।

आज जहां शहर के बड़े दौलतमंद इलाके हाई स्ट्रीट और विक्टोरिया स्ट्रीट आबाद हैं, वहां कभी रिवर लगान और फारसेट नदी का मुहाना होता था। आज यहां मशहूर सेंट जॉर्ज चर्च है। लेकिन ये चर्च भी एक प्राचीन गिरजाघर की जगह पर बनाया गया है। बताया जाता है कि आठ सौ साल पहले श्रद्धालु यहां प्रार्थना करने आते थे। उनकी ख्वाहिश होती थी कि वो फारसेट नदी सुरक्षित तौर पर पार कर लें। चूंकि इस नदी के मुहाने पर अक्सर दलदली मिट्टी जमा रहती थी और पानी का उफान तेज रहता था। जब पानी की लहरें कमजोर पड़ती थीं, तभी इसमें नावें दौड़ाई जाती थीं।

1600 में स्कॉटलैंड और इंग्लैंड से ईसाई धर्म के प्रोटेस्टेंट फिरके को मानने वाले लोगों ने यहां आना शुरू कर दिया। देखते ही देखते उन्होंने फारसेट नदी पर घाट बनाने शुरू कर दिए। हाई स्ट्रीट में आज बड़ी-बड़ी दुकाने हैं, लेकिन एक दौर था जब यहां जहाज चलते थे। बड़े-बड़े जहाज इन घाटों पर आकर रूकते थे। जिनमें शराब, मसाले और तंबाकू लदा होता था।

बड़े जहाजों से सामान उतारने के बाद छोटी-छोटी नौकाओं से पूरे आयरलैंड में पहुंचाया जाता था। स्कॉटलैंड और इंग्लैंड से जितने लोग यहां आए वो सभी व्यापारी वर्ग से थे। लिहाजा उनके यहां आने से बेलफास्ट में व्यापारिक गतिविधियां बड़े पैमाने पर होने लगीं। शराब की फैक्ट्रियां, कपड़ा मिलें और अन्य फैक्ट्रियां खुलने लगीं। इन फैक्ट्रियों ने ही आगे चलकर यहां औद्यौगिक क्रांति को जन्म दिया।

अठारहवीं सदी के अंत तक फारसेट नदी ने ही बेलफास्ट को दुनिया का सबसे ज्यादा कपड़ा तैयार करने वाला शहर बना दिया। उस दौर में यहां की कपड़ा फैक्ट्रियों में करीब 50 हजार लोग काम करते थे जो फारसेट नदी के जरिए ही बेलफास्ट तक पहुंचते थे। इस नदी ने शहर की तस्वीर ही बदल कर रख दी थी लेकिन आज ये नदी एक गटर से ज्यादा कुछ नहीं।

'हिडेन हिस्ट्री बिलो अवर फीट: द आर्कियोलॉजिकल स्टोरी ऑफ बेलफास्ट' के लेखक रुआइरी ओ बोइल का कहना है जिन फैक्ट्रियों को फारसेट नदी ने आबाद किया था, उन्हीं फैक्ट्रियों के कचरे ने इसे तबाह कर दिया। उन्नीसवीं सदी की शुरुआत होते होते, नदी से इतनी खतरनाक बदबू आने लगी कि शहर की कमिश्नरी ने इसे पूरी तरह बंद करने का आदेश दे दिया और 1848 में दस लाख ईंटो से नदी को दफन कर दिया गया।

शहरी पुरातत्त्वविद ओ-बोइल का कहना है कि भले ही ये नदी आज किसी को नजर ना आती हो, लेकिन इसका ये मतलब हरगिज नहीं है कि ये खत्म हो चुकी है। जमीन के नीचे ये आज भी बहती है, लेकिन एक गटर की शक्ल में। आयरलैंड के इतिहास में छोटी-छोटी नदियों का बड़ा योगदान रहा है। लोगों को इन नदियों की अहमियत से वाकिफ कराना बोइल का मिशन बन चुका है। इस काम में वो अकेले नहीं हैं। पिछले कुछ वर्षों में नजरअंदाज कर दी गई नदियों को फिर से जिंदगी देने की कोशिश शुरू कर दी गई है। हाल ही में बेलफास्ट सिटी काउंसिल ने फारसेट नदी की अहमियत का जश्न मनाने के लिए पूरे शहर में कार्यक्रम का आयोजन किया था।

प्रोफेसर ओ-बोइल का कहना है कि एक दौर था जब फारसेट नदी के किनारे लोगों की चहल पहल रहती थी। चूंकि सारी व्यापारिक गतिविधियां यहीं से शुरू होती थीं, लिहाजा यहां बड़े-बड़े गोदाम, रेस्टोरेंट और सराय आबाद होने लगे। हाई स्ट्रीट की तंग गलियों में बड़े-बड़े व्यापारी रहते थे। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए नदी को पार करना पड़ता था। इसीलिए यहां एक छोटा सा फुट ब्रिज बनाया गया। ब्रिज स्ट्रीट का नाम इसी फुटब्रिज के नाम पर है। हाई स्ट्रीट की पतली गलियां मल्लाहों के लिए बांध का काम करती थीं। यहां भारी संख्या में मल्लाह रहते थे। इसीलिए हाई स्ट्रीट में जितने पुराने पब हैं उनमें ज्यादातर के समुद्री नाम हैं- जैसे मरमेड इन।

उत्तरी आयरलैंड के डिपार्टमेंट ऑफ इन्फ्रास्टक्चर रिवर के इंजीनियर फ्रैंकी मेलन के मुताबिक जबसे इस नदी को पाटा गया है तब से अब तक डिपार्टमेंट के सिर्फ दो ही मेम्बर्स को इसके अंदर जाकर इसे देखने की इजाजत मिली है। मेलन बताते हैं कि नदी पर जिस तरह की पतली ईंटो से मेहराबें बनाई गई हैं वो महज आधा मीटर मोटी हैं। इनके ऊपर लकड़ी के खूंटे लगा दिए गए हैं। 1800 में इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल काफी मुश्किल था। लेकिन अच्छी बात ये है कि इतना वक्त गुजर जाने के बाद भी ये सही सलामत है। सिर्फ एक हिस्से में थोड़ी सी दरार पड़ी है जहां से पानी रिस रहा है। मेलन बताते हैं कि वर्षों पहले उनके पूर्वज इसी नदी के सहारे आयरलैंड की लिनेन फैक्ट्री में काम करने आए थे। और फिर यहीं बस गए। इस नदी से जुड़ी बहुत सी कहानियां हैं। मेलन खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि उन्हें आयरलैंड में बसाने वाली नदी को वो देख सकते हैं। लेकिन आने वाली नस्लें तो शायद इसका नाम भी ना सुन पाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *