अकेला मुस्लिम देश जहां हैं रामकृष्ण मठ, स्वामी विवेकानंद को कितना मानता है बांग्लादेश?
नई दिल्ली
स्वामी विवेकानंद का आज जन्मदिन है. स्वामी विवेकानंद के बारे में कई अध्ययन सामने आए हैं लेकिन उनके बारे में एक चौंकाने वाली जानकारी बांग्लादेश से आई है जो विश्व मुस्लिम बिरादरी में एक मात्र देश है जहां स्वामी विवेकानंद को जाना और माना जाता है. वहां 15 रामकृष्ण मठ हैं जहां स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रचार होता है जिन्हें ग्रहण करने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग हैं. इस बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए डॉ जुल्फीकार से बात की गई है.
डॉ. जुल्फीकार…यही नाम है उस शख्स का जो 15 दिन तक बांग्लादेश में रहकर आए और वहां स्वामी विवेकानंद के विचारों को प्रचार करने वाले रामकृष्ण मिशन के मठ में रहे. डॉ. जुल्फीकार, राजस्थान के झुंझुनू जिले के खेतड़ी से हैं. वही खेतड़ी, जहां के राजा की मदद से स्वामी विवेकानंद 11 सितंबर 1893 में विश्व धर्म सम्मेलन में शामिल होने शिकागो गए थे. शिकागो में ही स्वामी विवेकानंद ने विश्व प्रसिद्ध भाषण दिया था जो आज भी इतिहास के अमिट पन्नों में स्थान रखता है.
कुरान के साथ पढ़े जाते हैं गीता के श्लोक
डॉ. जुल्फीकार जून-जुलाई 2013 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका गए थे. वहां के रामकृष्ण मठ में एक खास बात उन्हें देखने को मिली. वहां मठ में संचालित सीनियर स्कूल की प्रार्थना सभा में न केवल कुरान की आयतें बल्कि गीता के श्लोक भी पढ़े जाते हैं. डॉ. जुल्फीकार वहां 15 दिनों तक रहे. वहां उन्होंने देखा कि मठ के द्वारा जीविका कमाने के जो काम किए जाते हैं, उनमें मुस्लिम महिलाएं बढ़-चढ़ कर भाग लेती हैं. 2015 में इसी मठ के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गए थे जिसमें शामिल होने के लिए डॉ. जुल्फीकार को भी बुलाया गया था लेकिन वह जा नहीं पाए.
मुस्लिम देशों में सिर्फ बांग्लादेश में हैं रामकृष्ण मठ
डॉ. जुल्फीकार ने आगे बताया कि जब विवेकानंद के बारे में और रिसर्च करने के लिए उन्होंने मुस्लिम देशों में रामकृष्ण मिशन के मठ तलाशे तो कहीं भी उनका आस्तित्व नहीं था. सिर्फ बांग्लादेश ही वह मुस्लिम देश है जहां स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रचार करने वाले 15 रामकृष्ण मिशन के मठ हैं. पाकिस्तान में एक मठ था जिसे सन 1948 में खत्म कर दिया गया.
कभी बांग्लादेश नहीं गए थे स्वामी विवेकानंद
अभी दुनिया में करीब 50 रामकृष्ण मठ होंगे जिनमें से 15 अकेले बांग्लादेश में हैं. हैरत की बात है कि स्वामी विवेकानंद कभी बांग्लादेश के इलाकों में गए ही नहीं थे जबकि उनके विचारों को फैलाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा बेलूर मठ है जो पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के पास है.