मस्त तरीके से बीतेगा मम्मी-पापा का बुढ़ापा, बने रहेंगे आपकी तरह बिंदास
बूढ़ा तो सभी को होना, आज पैरंट्स हो रहे हैं तो कल हम भी बूढ़े होंगे। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि यह बढ़ती उम्र भी हंसी-खुशी और इंजॉयमेंट से भरपूर हो तो आपको अपने आप पर या बूढ़े होते अपने मां-बाप पर नजर रखनी होगी…। क्योंकि स्वास्थ्य और व्यवहार में होनेवाले कुछ बदलावों को इंसान कई बार खुद नहीं पहचान पाता है।
बढ़ती उम्र
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी मानसिकता और सेहत दोनों ही बूढ़ी होने लगती हैं। अगर आप चाहते हैं टीनऐज वाली फुर्ती और जोश आपमें या आपके पैरंट्स में हमेशा बना रहे तो कुछ बातों की गांठ बांध लें। अगर मम्मी-पापा अपने शरीर और व्यवहार में हो रहे बदलावों को ना पहचान पाएं तो आप पहचानें और उन्हें वक्त रहते हेल्प करें। इससे आपकी आनेवाली कई परेशानियां टल जाएंगी…
आपका दिल और इमोशन
जवान बने रहने के लिए सबसे अधिक जरूरी है कि आप अपनी सोच और दिल से जवां रहें। इसके लिए ना केवल आपको अपने दिमाग को कुछ ना कुछ बेहतर सोचने में ट्रेंड करना होगा बल्कि अपने दिल की सेहत को ध्यान में रखकर अच्छी डायट भी फॉलो करनी होगी।
हड्डियां बनी रहेंगी मजबूत
अगर आप चाहते हैं कि बढ़ती उम्र में भी आपकी हड्डियां मजबूत बनी रहें तो आपको अपने फिजिशियन से मिलना चाहिए। अपनी डायट और हड्डियों की सेहत को लेकर बात करनी चाहिए। बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों को अधिक कैल्शियम की जरूरत होती है। साथ ही बोरोन जैसे तत्व भी चाहिए होते हैं।
आपका नर्व्स सिस्टम
यंग ऐज में हम जो भी खाते हैं उसे आमतौर पर हमारा पाचन तंत्र पचा ही लेता है क्योंकि इस उम्र में हम बहुत अधिक भागदौड़ करते हैं और फिजिकली ऐक्टिव रहते हैं। लेकिन बड़ी उम्र में ऐसा नहीं हो पाता है। साथ ही बॉडी में हॉर्मोन्स का लेवल भी डिस्टर्ब हो जाता है। इससे हमारी यादाश्त पर बुरा असर पड़ता है। अगर आप चाहते हैं कि इस तरह की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े तो ऐसे किसी भी लक्षण को शुरुआत में ही पहचानकर ट्रीटमेंट लें। ताकि डिमेंशिया या अल्जाइमर का शिकार ना हो जाएं।
देखने और सुनने की क्षमता
अगर आपको लगता है कि आपकी नजरें और सुनने की क्षमता कम हो रही है या आपके पैरंट्स उतनी आवाज पर अब रिऐक्ट नहीं करते हैं, जैसे पहले करते थे तो सजग हो जाएं और उन्हें ईएनटी के पास ले जाएं।
बदलते मूड को समझना
बड़ी उम्र में हॉर्मोन्स का प्रोडक्शन कम हो जाता है। इस कारण इंसान का अपने मूड पर कंट्रोल नहीं रहता है और बात-बात पर चिढ़ या गुस्सा होने लगते हैं। अगर आपको अपने स्वभाव या अपने पैरंट्स के स्वभाव में ऐसा बदलाव देखने को मिल रहा है तो न्यूरॉलजिस्ट या सायकाइट्रिस्ट से जरूर संपर्क करें।