राशन उपभोक्ताओं के लिये अंतर्राज्यीय पोर्टेबिलिटी व्यवस्था लागू
भोपाल
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया है कि जनवरी 2020 से प्रदेश में राशन उपभोक्ताओं की सुविधा के लिये "अंतर्राज्यीय पोर्टेबिलिटी व्यवस्था लागू की जा रही है। इस व्यवस्था में प्रदेश के उपभोक्ता देश के 11 राज्यों आन्ध्रप्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा में भी अपना राशन प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही, इन 11 राज्यों के उपभोक्ता मध्यप्रदेश में राशन ले सकेंगे। तोमर ने बताया कि इस योजना में उपभोक्ता राशन पूर्व निर्धारित मात्रा में पूर्व निर्धारित दर गेहूँ 2 रुपये, चावल 3 रुपये और मोटा अनाज एक रुपये प्रति किलोग्राम पर प्राप्त कर सकेंगे।
"वन स्टेट-वन राशन" योजना
मंत्री तोमर ने बताया कि राज्य सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली से अधिकाधिक उपभोक्ताओं को लाभन्वित करने के लिये अक्टूबर 2019 से प्रदेश में "वन स्टेट-वन राशन" योजना लागू की है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार इस योजना को लागू करने पर अभी सिर्फ विचार कर रही है। तोमर ने बताया कि इस योजना में राशन उपभोक्ता एक शहर अथवा एक वार्ड से दूसरे शहर अथवा दूसरे वार्ड में भी राशन दुकान से निर्धारित मात्रानुसार निर्धारित दर पर राशन ले सकता है। इस योजना से आज प्रदेश के 117 लाख से अधिक परिवार के साढ़े पाँच करोड़ उपभोक्ता लाभान्वित हो रहे हैं।
मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने पिछले एक साल में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विकास के विशेष प्रयासों एवं नवाचारों की जानकारी देते हुए कहा कि राशन उपभोक्ताओं का हित संरक्षण राज्य सरकार की प्राथमिकता सूची में शामिल है।
आधार आधारित राशन वितरण व्यवस्था (AePDS)
मंत्री तोमर ने बताया कि माह अक्टूबर, 2019 से प्रदेश में आधार आधारित राशन वितरण व्यवस्था लागू की गई है। इसमें पात्र परिवारों का सत्यापन बायोमेट्रिक के आधार पर किया जाकर राशन वितरण किया जा रहा है। इस व्यवस्था में वृद्धजन/नि:शक्तजन को दुकान तक राशन लेने आने में होने वाली कठिनाई को ध्यान में रखकर उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति (नामित)के बायोमेट्रिक सत्यापन के आधार पर राशन वितरण की व्यवस्था की गई है। पात्र हितग्राहियों को eKYC की सुविधा पीओएस मशीन के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है।
इसी तरह, प्रदेश में लगभग 22 हजार ऑनलाईन उचित मूल्य दुकानों पर पात्र हितग्राहियों को किसी अन्य राशन दुकान से भी राशन प्राप्त करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इससे प्रतिमाह लगभग 2 लाख परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। बायोमेट्रिक सत्यापन के आधार पर राशन का वितरण 18 लाख बढ़ाकर 76.93 लाख परिवारों को माह अक्टूबर, 2019 में लाभान्वित किया गया। प्रदेश के 29 जिलों में DSK डिजिटल के स्थान पर विजनटेक की 7500 दुकानों पर नई पीओएस मशीन लगवाई गई, जिससे पीओएस मशीन खराब होने की समस्या का स्थायी निदान हो सका।
मध्यप्रदेश खाद्य सुरक्षा दाल वितरण योजना
मंत्री तोमर ने बताया कि प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम अंतर्गत खाद्य सुरक्षा दाल वितरण योजना लागू की गई है। इसमें चने की वितरण दर 27 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है। प्रति सदस्य एक किलो एवं अधिकतम चार किलो प्रति परिवार पात्रता सुनिश्चित की गई है। इस व्यवस्था में हर महीने 117 लाख 47 हजार पात्र परिवारों को 40 हजार 793 मेट्रिक टन आवंटन दिया गया है। दाल का वितरण माह फरवरी से अक्टूबर, 2019 तक किया गया। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा दाल का आवंटन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।
शक्कर वितरण
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री ने बताया कि अन्त्योदय अन्न योजना में चिन्हित 16 लाख 39 हजार 993 पात्र परिवारों को मार्च 2019 से 20 रुपये प्रति किलो की दर से एक किलो शक्कर प्रतिमाह वितरण प्रारम्भ किया गया। इस पर राज्य सरकार द्वारा 3 हजार 224 रुपये प्रति टन के मान से अनुदान दिया जा रहा है।
केन्द्र से अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटन की माँग
मंत्री तोमर ने बताया कि मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना में पोर्टल पर 1,65,438 नवीन परिवारों को सम्मिलित कर योजना का लाभ दिया गया। वर्तमान में 5.46 करोड़ हितग्राहियों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 की जनसंख्या अनुसार 75% आबादी (5 करोड़ 46 लाख) को ही लाभांवित करने का प्रावधान है। वर्ष 2018 की अनुमानित जनसंख्या 8 करोड़ 23 लाख हो गई है, जिसका 75% कुल 6 करोड़ 17 लाख आबादी होता है। इस प्रकार, 71 लाख हितग्राहियों के लिये खाद्यान्न आवंटन प्राप्त नहीं हो रहा है। वर्तमान में 66% हितग्राहियों को ही लाभ मिल पा रहा है, जो अधिनियम के अनुसार 9% कम है। इन 71 लाख हितग्राहियों के लिये अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटन की मांग भारत सरकार से की गई है।
प्रत्येक ग्राम पंचायत में उचित मूल्य दुकान
मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि उपभोक्ताओं को दूरी की परेशानी से बचाने के लिये प्रत्येक ग्राम पंचायत में उचित मूल्य दुकान खोली गई। नवीन दुकान आवंटन में एक तिहाई दुकानें महिला संस्थाओं को देने का प्रावधान किया गया। नवीन दुकानों की स्थापना के लिये ऑनलाईन आवंटन की व्यवस्था की गई। विगत एक वर्ष में 564 नवीन दुकानों का आवंटन किया गया। उचित मूल्य दुकान संचालन के लिये विक्रेता के लिए मार्गदर्शिका का प्रकाशन किया गया। यह मार्गदर्शिका एक नवम्बर को मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश के सभी 24713 उचित मूल्य दुकानदारों को उपलब्ध कराई गई।
उचित मूल्य दुकानों की ग्रेडिंग व्यवस्था
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने बताया कि उचित मूल्य दुकानों के कार्यकलापों की समीक्षा के लिए ग्रेडिंग व्यवस्था लागू की गई है। इसमें दुकान खुलने के दिन, बायोमेट्रिक सत्यापन से राशन वितरण, सतर्कता समितियों की बैठक, निरीक्षण में दिए गए निर्देशों का पालन एवं दुकान पर आमजन के लिए प्रदर्शित जानकारी के आधार पर दूकान का मूल्यांकन किया जाएगा।
खाद्यान्न उपार्जन की बेहतर व्यवस्था
मंत्री तोमर ने बताया कि खाद्यान्न उपार्जन की बेहतर व्यवस्था से रबी विपणन वर्ष 2019-20 में 9 लाख 87 हजार 258 किसानों से 73 लाख 69 हजार 550 मे.टन गेहूं का उपार्जन सुनिश्चित हुआ। यह पिछले साल से 53 हजार 508 मे.टन अधिक है। उपार्जित गेहूं की कुल राशि 13 हजार 560 करोड़ का भुगतान किसानों को किया गया है, जो विगत वर्ष से 867 करोड़ अधिक है।
राज्य सरकार ने समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न उपार्जन प्रक्रिया का मानकीकरण किया है। इसमें गिरदावरी डाटाबेस के आधार पर मोबाइल एप के माध्यम से पंजीयन की सुविधा, ऑनलाईन कृषक तौल-पर्ची जारी करने, "एक ट्रक-एक स्वीकृति" पत्रक एवं एक WHR जारी करने की व्यवस्था बनाई गई। इसी के साथ, किसान का पंजीयन भू-अभिलेख एवं गिरदावरी के डेटाबेस के आधार पर किया गया, जिससे किसानों को पंजीयन में भूमि संबंधी दस्तावेज नहीं देने पड़े। किसानों को उपज विक्रय के लिये अधिक समय तक इंतजार नहीं करना पड़े। इसके लिये प्रत्येक उपार्जन केन्द्र पर संलग्न किसान संख्या भी निर्धारित की गई।
पिछले वर्ष रबी में गेहूं उपार्जन के लिये 391 गोदामों पर स्तरीय उपार्जन केन्द्र खोले गए थे, जिनकी संख्या नई सरकार ने बढ़ाकर 1030 कर दी है। इससे परिवहन व्यय, सूखत/कमी मद में बचत के साथ किसानों को गेहूं विक्रय करने में परेशानी नहीं झेलनी पड़ी। विगत वर्ष गेहूं उपार्जन के लिये 3 हजार 8 केन्द्र बनाए गए थे, जिसे राज्य सरकार ने बढ़ाकर 3 हजार 545 किया। इस प्रकार 537 अधिक उपार्जन केन्द्र खोले गये। किसानों को उपार्जित गेहूं का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में Just in Time (JIT) एप से किया गया। इससे किसानों को 7 दिन के स्थान पर अधिकतम 3 दिन में भुगतान मिल सका।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में प्रदेश में विगत एक वर्ष में 18 लाख 78 हजार पात्र परिवारों को कुकिंग गैस कनेक्शन प्रदाय किये गये। अभी तक कुल 71 लाख 39 हजार पात्र परिवारों को गैस कनेक्शन जारी किए गये हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत सरकार ने योजना में नवीन गैस कनेक्शन देने पर रोक लगा दी है।।
राज्य उपभोक्ता हेल्पलाइन
प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बतायाकि उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य उपभोक्ता हेल्पलाईन का परियोजना प्रभारी, काउंसलर्स द्वारा संचालन किया जा रहा है। किसी भी उपभोक्ता द्वारा 4 इंचार्ज एवं 4 सेक्टरों की टोल- फ्री हेल्पलाईन नं.-1800-233-0046 के माध्यम से कार्यालयीन समय सुबह 10.30 से शाम 5.30 बजे के बीच सूचना, सलाह एवं मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही, शिकायत भी दर्ज कराई जा सकती है। उन्होंने बताया कि हेल्पलाईन में 2370 शिकायतें दर्ज की गईं और 2365 शिकायतों का निराकरण किया गया। भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के State Consumer Helpline Knowledge Resource Management Portal के अनुसार देश के 25 राज्यों में संचालित राज्य उपभोक्ता हेल्पलाइन में से मध्यप्रदेश राज्य उपभोक्ता हेल्पलाइन ने लगातार चौथी बार (जुलाई 2019, अगस्त 2019, सितम्बर 2019, अक्टूबर 2019) प्रथम स्थान प्राप्त किया। तोमर ने बताया कि एक जनवरी 2019 से 20 नवम्बर 2019 तक प्रदेश में शिकायतों के निराकरण का प्रतिशत 99.78 रहा।
सीएम हेल्पलाईन में दर्ज शिकायतों का निराकरण
मंत्री तोमर ने जानकारी दी कि उपभोक्ताओं की समस्याओं एवं शिकायतों के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री हेल्पलाईन पर टोल-फ्री-181 नम्बर की सुविधा उपलब्ध कराई गई। शिकायतों का निराकरण चार स्तरों पर किया जाता है। प्रत्येक स्तर पर शिकायतों की समय-सीमा क्रमश: 15 एवं 7-7-7 दिन निर्धारित है। विगत एक साल में दर्ज कुल 1,48,381 शिकायतों में से 1,34,948 शिकायतों का निराकरण किया गया।
गोदाम-सह-उचित मूल्य दुकान के भवन निर्माण
मंत्री तोमर ने कहा कि समर्थन मूल्य पर उपार्जित खाद्यान्न के भण्डारण स्थल से ही राशन वितरण की व्यवस्था करने पर कार्य किया जा रहा है उन्होंने बताया कि विकासखण्ड स्तर पर 139 चिन्हित स्थानों एवं 76 उपार्जन केन्द्रों पर 500-500 मे.टन क्षमता के गोदाम एवं उचित मूल्य दुकानों के भवन का निर्माण प्रस्तावित है। इन गोदामों-सह-उचित मूल्य दुकान-भवनों पर खाद्यान्न के भण्डारण/वितरण के साथ किसानों एवं हितग्राहियों के लिये कव्हर्ड शेड, स्वच्छ जल, सुलभ कॉम्पलेक्स आदि मूलभूत सुविधाएँ विकसित की जाएंगी। इन व्यवस्थाओं पर नाबार्ड के माध्यम से 77.40 करोड़ व्यय किया जाएगा।
भण्डारण क्षमता का विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने बताया कि वेयरहाऊसिंग कार्पोरेशन की स्वयं भण्डारण क्षमता 23.03 लाख मे.टन है। इनमें सीमेन्ट कांक्रीट, डामर रोड, बाउड्रीवाल का निर्माण, 86 शाखाओं में CCTV Camera, 250 शाखाओं में सुलभ काम्पलेक्स एवं पेयजल की सुविधाएँ उपलब्ध कराने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसी के साथ, 74 हजार मे.टन क्षमता के केप को गोदामों में परिवर्तित करना, 2 स्थानों पर आधुनिक पद्धति से गोदामों का निर्माण तथा 66 स्थानों पर डिजिटाईज्ड वे-ब्रिज लगाना प्रस्तावित है। इन कार्यों पर DPR अनुसार 143.87 करोड़ व्यय होंगे। इसके लिये नाबार्ड को ऋण प्रस्ताव भेजा गया है।
मंत्री तोमर नेबताया कि देश में केवल मध्यप्रदेश स्टेट वेयरहाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन सर्वोच्च भण्डारण वाली संस्था है। संस्था द्वारा इस वर्ष कुल 103 लाख मे.टन क्षमता का भण्डारण किया गया। प्रदेश में कुल भण्डारण क्षमता 1 लाख 84 हजार मे.टन है। मध्यप्रदेश में पहली बार प्रायोगिक तौर पर ककून में 9590 मे.टन उपार्जित गेहूं का भंडारण सागर जिले के बीना में किया गया।
निजी गोदाम संचालकों को प्रोत्साहन
प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि निजी गोदाम संचालकों की समर्थन मूल्य पर उपार्जित स्कंद की खरीदी एवं भण्डारण में सहभागिता सुनिश्चित की गई। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर निर्मित हुए। निजी गोदाम संचालकों को दिये जाने वाले किराये में 8 से 18 रुपये तक प्रतिटन प्रतिमाह वृद्धि की गई है, जो पिछले 5 वर्षों में सर्वाधिक है। निजी गोदाम मालिकों को श्रेणी A के अंतर्गत संयुक्त भागीदारी योजना के लिये WDRA के लायसेंस की अनिवार्यता को शिथिल करते हुए राज्य शासन से जारी लायसेंस के आधार पर पात्रता प्रदान की।
पात्र परिवारों का सत्यापन अभियान
उपभोक्ता संरक्षण मंत्री तोमर ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता सूची में वर्तमान में सम्मिलित परिवारों का सत्यापन कराया जा रहा है। अपात्र परिवारों को हटाकर छूटे हुए परिवारों को सूची में जोड़ने का काम जारी है। अधिनियम में वर्तमान में सम्मिलित 117.52 लाख पात्र परिवारों के 5 करोड़ 46 लाख हितग्राहियों का घर-घर जाकर सत्यापन करने का अभियान चलाया जा रहा है। लगभग 61 हजार 741 सत्यापन दलों द्वारा यह कार्य "एम-राशन मित्र" मोबाईल एप के माध्यम से किया जा रहा है। अभी तक 41,67,481 परिवारों का सत्यापन किया गया है।