काली मिर्च पर मध्य प्रदेश में क्यों मचा बवाल….
भोपाल
आर्थिक अपराधों से जुड़े मामलों में कार्रवाई करने वाली ईओडब्ल्यू (ECONOMIC OFFENCES WING, EOW) इन दिनों काली मिर्च के कारण विवाद में घिर गई है. मामला मिलावट का है और EOW ने एक बड़ी जांच एजेंसी के आला अफसर के खिलाफ ही जांच बैठा दी थी. बीजेपी इससे खफा है. वो कांग्रेस सरकार पर उंगली उठा रही है.
EOW वैसे, तो आर्थिक मामलों से जुड़े मामलों की जांच और कार्रवाई करती है. लेकिन कुछ दिन पहले काली मिर्च (Black pepper) में जले ऑयल की मिलावट के एक मामले में उसने कार्रवाई क्या की, राजनीति में बवाल मच गया. EOW ने काली मिर्च में जला ऑयल मिलाकर बेचने पर एनसीडीईएक्स (NCDEX) के CEO आर रामाशेषन सहित अन्य पर पीई दर्ज की थी. ये मिलावटी माल बैतूल की एक कंपनी को बेचा गया था और उसी की शिकायत पर EOW ने कार्रवाई शुरू की थी.
NCDEX की विश्वसनीयता के कारण देशभर की कंपनियां, सरकारें और प्रतिष्ठान संस्था की वेबसाइट से ऑक्शन दरों पर उससे माल खरीदते हैं. पिछले दिनों उसके मार्फत खरीदी गई काली मिर्च की जब जांच हुई तो उसमें जला हुआ खनिज तेल मिले होने की पुष्टि हुई थी. उसके बाद EOW ने एनसीडीईएक्स (NCDEX) के CEO आर रामाशेषन सहित अन्य पर पीई दर्ज की थी. NCDEX ने ही माल को ए-ग्रेड सर्टिफिकेट दिया था.
बीजेपी ने बताया वसूली अभियान
EOW जल्द ही इस मामले में एफआईआर भी दर्ज करेगी. लेकिन बीजेपी इस पर सवाल खड़ा कर रही है. उसका कहना है जब शुद्ध के लिए युद्ध चल रहा है और खाद्य विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन कार्रवाई कर रहा है, तो ऐसे में EOW को इस मामले की जांच करने की जरूरत क्या है. उसका आरोप है कि इस सरकार से छोटे से लेकर बड़े व्यापारी बुरी तरह से प्रताड़ित हैं. सरकार अधिकारियों के ज़रिए उनसे वसूली करवा रही है. व्यापारी परेशान हैं. उनका आरोप है कि सभी एजेंसियों को वसूली की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
कांग्रेस ने किया समर्थन
EOW के एडीजी सुशोभन बनर्जी का कहना है कि EOW के पास खाद्य सामग्री से जुड़े मामले में कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है. कांग्रेस ने भी कार्रवाई का समर्थन किया है. कांग्रेस का कहना है EOW स्वतंत्र एजेंसी है. वो किसी भी अपराध की जांच और उसमें कार्रवाई कर सकती है. बीजेपी क्या यह मानती है कि जो संस्थाएं बनी हैं, उन्हें अपराध रोकने का अधिकार नहीं है. इस मामले में दो अपराध घटित हुए, पहला धोखाधड़ी का है और दूसरा मिलावट का. आर्थिक लेनदेन की वजह से EOW को कार्रवाई का अधिकार है. बीजेपी की रुचि अपराधी को पकड़ने से ज्यादा इसमें है कि केस दर्ज क्यों हुआ. इनके कई लोग भी ऐसे कई मामलों में फंसे हैं.
बड़े मामले EOW में पेंडिंग
EOW पर विवाद इसलिए मचा है, क्योंकि उसने कभी भी मिलावट से जुड़े मामले में कार्रवाई नहीं की. अभी तक आर्थिक अपराध, भ्रष्टाचार, घोटाले और सरकारी गड़बड़ी में ही कार्रवाई की है. सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि ईओडब्ल्यू के पास ई टेंडर, सिंहस्थ, स्मार्ट सिटी, एमसीयू समेत कई बड़े घोटाले की जांच लंबित पड़ी है.
ये है मामला
EOW के अनुसार बैतूल ऑयल लिमिटेड कंपनी ने लिखित में शिकायत की थी कि NCDEX उसके 72 करोड़ रुपये वापस नहीं दे रहा है. कंपनी का आरोप है कि NCDEX ने मिलावटी काली मिर्च उसे बेची. हालांकि, डिलीवरी से पहले जब लैब में मिर्च की जांच कराई गई, तो टेस्टिंग में मिर्च में खनिज तेल होने का खुलासा हुआ. इस खुलासे के बाद कंपनी ने काली मिर्च लेने से इनकार कर दिया और अपने 72 करोड़ रुपये वापस मांगे. लेकिन NCDEX उसके पैसे नहीं लौटा रहा है. EOW ने शिकायत की जांच के बाद प्राथमिक जांच पंजीबद्ध की.
सामग्री का मुख्य विक्रेता है NCDEX
NCDEX की इस विश्वसनीयता के कारण देशभर की कंपनियां, सरकारें और प्रतिष्ठान संस्था की वेबसाइट से ऑक्शन दरों पर सामान खरीदते हैं. बैतूल ऑयल कंपनी ने 2012 में 1729.91 टन काली मिर्च NCDEX से खरीदी, लेकिन मिर्च में मिलावट पाई गई. काली मिर्च की डिलीवरी से पहले जब लैब में टेस्ट हुआ, तो इसमें खनिज तेज की मिलावट मिली. मिलावट की पुष्टि होने के बाद कंपनी ने काली मिर्च लेने से मना कर दिया और अपने 72 करोड़ रुपये वापस मांग लिए. लेकिन NCDEX संस्था ने देने से इनकार कर दिया.
मिर्च को ए-वन ग्रेड का सर्टिफिकेट
NCDEX खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की गारंटी लेता है और अलग-अलग ग्रेड तय कर गुणवत्ता का सर्टिफिकेट देता है. इस संस्था को लेकर पहले भी केरल सरकार जांच कर चुकी है. लेकिन उस दौरान कुछ नहीं हुआ था. अब केरल के बाद मध्यप्रदेश में EOW ने मामले की जांच के बाद प्राथमिकी जांच पंजीबद्ध की है. आरोप है कि NCDEX ने काली मिर्च को मालाबार ए-वन ग्रेड का सर्टिफिकेट जारी किया था. जिन कंपनियों ने मिलावटी मिर्च बाज़ार में बेची, उन कंपनियों के भी अरबों रुपये बाजार में फंस गए हैं.