ये गिरोह रेलवे और FCI में नौकरी का जाली नियुक्ति पत्र और ट्रेनिंग देता था…
भोपाल
एमपी STF ने बड़ी कार्रवाई करते हुए भोपाल में उस गिरोह (gang) का पर्दाफाश किया है, जो प्रदेश में सक्रिय होकर रेलवे (railway) और एफसीआई (fci) के साथ दूसरे सरकारी विभागों में नौकरी (service) दिलाने के नाम पर लोगों को ठग रहा था. STF ने गिरोह के सरगना सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार (arrest) किया है. इनके पास से फर्जी नियुक्ति आदेश, ट्रेनिंग (training) आदेश के साथ कई दस्तावेज मिले हैं.
STF की गिरफ़्त में आए गिरोह के सदस्य बेरोजगारों को निशाना बनाकर उन्हें ठगते थे. गैंग अब तक कई लोगों को ठग चुका है. STF आरोपियों से पूछताछ कर रही है.इस गैंग के सरकारी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के कनेक्शन की जांच भी की जा रही है.
STF एडीजी अशोक अवस्थी से मिली जानकारी के अनुसार ये गिरोह भोपाल और उसके आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय था. आरोपी कुछ लोगों को रेलवे, एफसीआई और अन्य शासकीय विभागों में नौकरी का लालच देकर पैसे ठगते थे और फिर उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र और फर्जी प्रशिक्षण दिलाते थे. STF को सूचना मिली तो वो ठगी के शिकार राधेश्याम लोहवंशी तक पहुंची.फिर राधेश्याम की शिकायत पर ठग गैंग पर एफआईआर दर्ज की गई.
STF ने मामले की जांच की, तो पता चला कि ये गैंग एक नहीं बल्कि करीब तीस से ज्यादा लोगों को ठग चुका है. आंकड़ा बढ़ सकता है, क्योंकि कई लोगों ने बदनामी के डर से शिकायत नहीं की.अब गिरोह के सरगना से पूछताछ की जा रही है और आगे कई खुलासे होने की संभावना है.एसटीएफ को जानकारी मिली है कि यह गिरोह करीब एक साल से मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी के नाम पर लोगों को ठग रहा था.
ऐसे गिरफ्त में आया गिरोहजो लोग ठगे गए उनसे मिली जानकारी के तहत STF की टीम सबसे पहले भोपाल के उन आरोपियों तक पहुंची, जो इस गिरोह के सरगना से जुड़कर उसके कहने पर काम करते थे. फिर टीम ने भोपाल में रहने वाले चार आरोपी प्रकाश लोधी, वासुदेव मोहने, प्रवीण बड़ोदे और मदन गुर्जर को गिरफ्तार किया.इन सभी से पूछताछ की गई, तो उन्होंने गिरोह के सरगना का सुराग दिया. इसी सुराग के आधार पर STF रतलाम में रहने वाले गिरोह के सरगना विक्रम बाथम तक पहुंची और उसे भी गिरफ्तार कर लिया.
गिरोह के सदस्य बेरोजगारों से दो से तीन लाख रुपए लेकर नौकरी का झांसा देते थे.आरोपी रेलवे अधिकारी बनकर झांसे में आए लोगों का बकायदा रेलवे अस्पताल में मेडीकल परीक्षण कराते थे.उनकी ट्रेनिंग की व्यवस्था की जाती थी.फर्जी नियुक्ति पत्र दिए जाते थे.जब लोगों को नौकरी नहीं मिलती और ज्यादा समय हो जाता है, तब उन्हें पता चलता था कि वो तो ठग लिए गए हैं.