2023 तक होगा तैयार, मुंबई में बनने लगा बांद्रा-वर्सोवा सी लिंक
मुंबई
समंदर के रास्ते बांद्रा को वर्सोवा से जोड़ने के लिए बांद्रा-वर्सोवा सी लिंक का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। सी लिंक के लिए बांद्रा में सागर किनारे अब तक 14 बेस पिलर का निर्माण किया जा चुका है। सी लिंक के पूरे मार्ग में 5000 बेस पिलर का निर्माण होना है। इन बेस पिलर की सहायता से सागर में 1000 मैन पिलर खड़े किए जाएंगे। पश्चिमी उपनगर की ट्रैफिक की समस्या कम करने के लिए महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम सागर में 17 किलोमीटर लंबा सी लिंक तैयार कर रही है।
8 लेन वाले सी लिंक के निर्माण पर 11 हजार 332 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें से 6 हजार 994 करोड़ रुपए सी लिंक पर खर्च होंगे। नवंबर महीने में शुरू हुए सी लिंक का काम बेहद ही सुस्त गति से चल रहा है। अधिकारियों के अनुसार समय पर निर्माण कार्य पूरा करने के लिए रोजाना करीब 6 बेस पिलर और एक महीने में करीब 140 बेस पिलर का निर्माण होना चाहिए।
ठेकेदार ने पहले महीने में केवल 14 बेस पिलर तैयार किए हैं। यदि इस गति से आगे भी काम चलता रहा तो परियोजना का समय पर पूरा होना मुश्किल है। एमएसआरडीसी ने वर्ष 2023 तक परियोजना पूरी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 17 किलोमीटर लंबे सी लिंक का काम अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को सौंपा गया है। रिलायंस इटली की कंपनी के साथ मिलकर सी लिंक को तैयार कर रही है।
15 मिनट में बांद्रा से वर्सोवा
सी लिंक का निर्माण होने के बाद बांद्रा से वर्सोवा का सफर 50 मिनट से घटकर 15 मिनट हो जाएगा। 17 किलोमीटर लंबे सी लिंक बांद्रा के कार्टर रोड, जुहू से होते हुए वर्सोवा पहुंचेगा। गौरतलब है कि बांद्रा से वर्सोवा की तरफ रोजाना हजारों की संख्या में वाहनों की आवाजाही होती है। शाम के वक्त एक साथ हजारों गाड़ियों के सड़क पर आने से लोगों को ट्रैफिक की समस्या से जूझना पड़ता है। एमएसआरडीसी बांद्रा-वार्ली सी लिंक का निर्माण पहले ही कर चुकी है। ऐसे में सागर पर दूसरा सी लिंक बनने पर बांद्रा से वर्सोवा का सफर आसान हो जाएगा।
क्या है बेस पिलर?
बेस पिलर या पाइल वह होता है, जो पुल का पिलर तैयार करने से पहले जमीन की खुदाई कर आधार 'स्तंभ' के रूप में तैयार किया जाता है। एमएसआरडीसी अधिकारी के अनुसार, लोकेशन और परिस्थिति के आधार पर एक पिलर खड़ा करने के लिए कही 6 तो कही 8 पाइल का इस्तेमाल किया जाएगा। एक पाइल के निर्माण में करीब 20 से 25 लाख रुपये खर्च होते हैं।