पद से अधिक अफसर फिर भी प्रमोशन की चाहत, सरकार भी पक्ष में
भोपाल
प्रदेश में भले ही कई सालों से छोटे कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं हो रही है, लेकिन अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हालत यह है कि आईएएस हों या आईपीएस अफसर सभी को पदों से अधिक पदोन्नति चाहिए।
हालात यह हैं कि कई पदों पर तो तय संख्या से अधिक अफसरो को पदोन्नत कर दिया गया है। इसके बाद भी प्रदेश में आईएएस अधिकारियों को नियम शिथिल करके सचिव से प्रमुख सचिव और आईपीएस अधिकारियों को निर्धारित संख्या से ज्यादा एडीजी होने के बाद भी प्रमोशन चाहिए। यह स्थिति हाल ही में सामने आने के बाद सचिव से प्रमुख सचिव पद और आईजी से एडीजी पद की डीपीसी रोक दी गई। आईएएस अधिकारियों के मामले में तो केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने मप्र सरकार से पूछ लिया है कि वह किस आधार पर प्रमोशन करना चाहती है।
आईपीएस अधिकारियों में तो स्थिति यह है कि निचले पदों को समायोजित करके एडीजी के पद बढ़ाए गए हैं। निचले कर्मचारियों के मामले में सोई रहने वाली राज्य की सरकार इसके बाद भी पूरे प्रयास कर रही है कि किसी तरह से केन्द्र से अनुमति मिल जाए जिससे की आईएएस अधिकारियों को पदोन्नत किया जा सके, लेकिन आईपीएस अफसरों के मामले फिलहाल आईजी से एडीजी पद की डीपीसी रोक दी गई है। बताया जा रहा है कि पूर्व में एडीजी हो चुके पद रिक्त होने के बाद ही नए प्रमोशन की राह खुल सकेगी। हालांकि एडीजी के प्रमोशन के इंतजार में बैठे 1995 बैच ने 25 साल की सेवा पूर्ण कर ली है। आईएएस अफसरों के मामले में ऐसा नहीं है।
पदोन्नति के लिए छूट देने की मांग
आईएएस अफसरों में प्रमोशन के लिए कोशिशें तेज हुई हैं। इस समय कैडर व एक्स कैडर पोस्ट मिलाकर प्रमुख सचिव के 32 पद हैं। इसमें से चार पद अभी खाली हैं। इसके बाद भी केंद्र सरकार ने प्रमोशन की मंजूरी नहीं दी है। नियम है कि 25 साल की सेवा पूरी होने के बाद ही अफसर प्रमुख सचिव पद पर प्रमोट हो सकता है, लेकिन पिछली सरकार में 1993 व 1994 बैच के प्रमोशन के समय इस नियम का पालन नहीं किया गया। मप्र के कार्मिक विभाग प्रमोशन के लिए यह कहकर केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से मंजूरी मांगी है कि पहले की तरह इस बार भी छूट दी जाए। मप्र में 1995 बैच में एक ही आईएएस अधिकारी सचिन सिन्हा हैं जो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। लिहाजा 1996 बैच का सचिव से प्रमुख सचिव पद पर प्रमोशन होना है।
एडीजी पद के लिए
यही हाल आईपीएस अधिकारियों का भी है। स्वीकृति 32 पद की तुलना में इस समय 45 एडीजी कैडर पोस्ट पर बैठे हैं। जबकि एडीजी स्केल ले चुके अधिकारियों की संख्या 55 के करीब है। हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में जब 16 एडीजी पदों की मंजूरी का मामला आया था, तब कहा गया कि पूर्व में इन 16 पदों को बिना कैबिनेट में ले जाए ही मंजूरी दे दी गई थी। लिहाजा अब उसे स्वीकृति दी जाए। इसी कैबिनेट में यह भी स्वीकृति हुई कि 1994 बैच का भी एडीजी में प्रमोशन हो। गृह विभाग के अधिकारी ने बताया कि 1995 बैच के 7 अफसरों का एडीजी पद पर प्रमोशन होना है, लेकिन मामला अटक गया है।