तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का समापन आज
रायपुर
प्रदेश में पहली बार आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के आखरी दिन अवकाश का दिन होने के कारण मुख्य मंच पर आयोजित कार्यक्रमों के अलावा यहां लगाए गए स्टालों में रायपुर सहित प्रदेश भर के लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। विशेष तौर पर शिल्प ग्राम, छत्तीसगढ़ी व्यंजनों पर आधारित फूड जोन और विभागीय स्टॉलों की ओर रूख कर रहे है।
शिल्प ग्राम में बेलमेटल, मिट्टी के बर्तन, हैण्डलूम में जमकर हुई खरीदी-शिल्प ग्राम जोन में बस्तर के बेल मेटल में आंगतुक काफी रूचि ले रहे। यहां आदिवासी संस्कृति का पुट लिए मूर्तियां लोगों की पहली पसंद बनी है। बेलमेटल से निर्मित कलाकृतियों को बेहतर प्रतिसाद मिल रहा है। माटीकला बोर्ड द्वारा कुम्हारों द्वारा चॉक के निर्मित बरतनों की प्रदर्शनी लगाकर उन्हें बेचे जा रहे हैं। इसमें मिट्टी के डिजायनर दीये, लैम्प, बोतल, कड़ाही, गिलास, डिनर सेट सहित वॉल डेकोरेटिव आयटम भी हैं। कुम्हार द्वारा चॉक से तैयार की जा रही वस्तुओं को देखने कौतुहलवश लोगों का तांता बना रहा। इसी तरह हथकरघा (हैण्डलूम) से तैयार किए गए वस्त्र, शॉल, बेडशीट, टॉवेल, रूमाल आदि की भी जमकर बिक्री हुई।
विभागीय प्रदर्शनियों में उमड़ी भीड़-स्थल पर कृषि विभाग, पर्यटन एवं संस्कृति, जनसम्पर्क, वन विभाग सहित उद्योग (एनएमडीसी) की विभागीय प्रदर्शनियों में आज काफी भीड़भाड़ रहा। विशेष रूप से प्रदर्शनियों में छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों द्वारा किए जा रहे नृत्य को काफी रिस्पॉन्स मिल रहा है। कृषि विभाग के स्टॉल में जैविक पद्धति से उत्पादित चावल एवं कोदो-कुटकी, जैविक दवा व खाद, देवभोग दुग्ध संघ द्वारा लगाए गए स्टॉल और उद्यानिकी द्वारा नर्सरी पौधों की प्रदर्शनी के बारे में लोग जानकारी लेते नजर आए। साथ ही जैविक उत्पादों के लाभ के बारे में भी स्टाल में जानकारी दी जा रही है। महिला स्वसहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए मशरूम को भी आगंतुक हाथोहाथ खरीद रहे हैं। स्टॉल के बगल से शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी की प्रदर्शनी लगाई गई है। यहां पर पशु शेड, पशुचारा, अजोला टैंक, सोलर पम्प, टीकाकरण आदि का सहज प्रदर्शन कर आगंतुकों को योजना की जानकारी दी जा रही है। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति, आभूषण, परिधान तथा औजारों की प्रदर्शनी लगाई गई है, वहीं प्रदेश के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं को छायाचित्र के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। इसी तरह एनएमडीसी, वन विभाग की प्रदर्शनी में विभाग के उल्लेखनीय कार्यों को दर्शाया गया है। जनसम्पर्क विभाग के स्टाल में छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्रों, गौतम बुद्ध की प्रतिमा तथा सिरपुर की कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। लोग यहां पर सेल्फी लेते नजर आए। आगंतुकों को विभागीय मासिक पत्रिका जनमन की प्रतियां निःशुल्क वितरित की जा रही हैं।
फूड जोन में मिल रहा ठेठ छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद
शिल्प ग्राम के पीछे फूड जोन बनाया गया है जहां पर महिला स्वसहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए ठेठ छत्तीसगढ़ी व्यंजन तैयार कर बेचे जा रहे हैं। इन स्टालों में चीला, ठेठरी, खुरमी अरसा, पिडि़या, मुठिया, फरा, पपची, चौसेला जैसे विलुप्तप्राय व्यंजनों को बेचा जा रहा है, जिनका स्वाद चखने लोगों की भीड़ सुबह से लगी रही। सील बट्टे से पिसी गई टमाटर की चटनी का स्वाद सर्वाधिक लोगों ने चखा और सराहा।