आदिवासी समाज के मान-सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा जरूरी : मंत्री अमरजीत भगत
आदिवासी अस्मिता पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय शोध-संगोष्ठी का शुभारंभ
रायपुर, 27 दिसम्बर 2019/ संस्कृति, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री अमरजीत भगत ने कहा है कि आदिवासी समाज के मान-सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा जरूरी है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा आदिवासी समाज की उन्नति के लिए लगतार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री आदिवासी अस्मिता को बचाने में लगे हुए हैं। श्री भगत आज गढबो नवा छत्तीसगढ़ की थीम पर आदिवासी अस्मिता: कल आज और कल विषय पर राजधानी में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय शोध-संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। गोष्ठी का आयोजन गोंडवाना स्वदेश मासिक पत्रिका के तत्वाधान में संस्कृति विभाग के विशेष सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
रायपुर पश्चिम के विधायक विकास उपाध्योय ने कहा कि आदिवासी संस्कृति को जितना जाने उतना कम लगता है। उन्होंने कहा कि 19 साल बाद में अब लग रहा है कि असल छत्तीसगढ़ राज्य अब बना है। यह देश आजादी के आंदोलन में अंग्रेजों से लोहा लेने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीग बाई के साथ झलकारी बाई को नहीं भूल सकता है। संगोष्ठी को विधायक श्री देवेन्द्र यादव ने भी सम्बोधित किया।
संगोष्ठीे के प्रथम सत्र में साहित्य में आदिवासी चित्रण और लेखन विषय पर जामिया मिलिया इस्लोमिया नई दिल्ली के हिंदी विभाग की प्रोफेसर हेमलता महिश्वेर ने कहा कि आदिवासियों का ज्ञान विज्ञान एम्स और नासा के वैज्ञानिकों से भी कहीं ज्यादा था। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय की एक अलग और बहुत प्राचीन संस्कृति है। सभ्य समाज को आदिवासी समाज से लोकतंत्र की समझ लेना चाहिए। आदिवासी भाषा और साहित्य का संरक्षण अनिवार्य है।
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कोलकाता केंद्र के प्रभारी निदेशक डॉ. सुनील कुमार सुमन ने बताया कि आदिवासी साहित्य को उनकी ही भाषा बोली पर आधारित होना चाहिए। छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की गोंड़ी और हल्बी बोली में साहित्य लेखन होना चाहिए। डॉ सुमन ने कहा कि आदिवासी साहित्य वही है जो आदिवासी जीवन दर्शन पर आधारित हो।
द्वितीय सत्र में मीडिया, सिनेमा और आदिवासी विषय पर संगोष्ठी के अध्यक्षता करते हुए पत्र सूचना कार्यालय छत्तीसगढ के डायरेक्टर कृपाशंकर यादव ने कहा कि आदिवासी और मूल निवासियों पर आधारित फिल्म हमें कम बजट पर बनाने के लिए सोचना चाहिए। हमारी संस्कृति को संजोए रखने के लिए छोटी बजट की फिल्में भी बनाने का प्रयास करना चाहिए। आदिवासी मामलों के जानकार डॉ. नरेश कुमार साहू ने कहा कि मीडिया में आदिवासी समाज की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया।
शनिवार को द्वितीय दिवस संगोष्ठीह में आज
शनिवार को सुबह 10 बजे संगोष्ठी में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल उदघाटन सत्र में शामिल होंगे। साथ में मंत्री मंडल के सदस्य और विधायकगण भी कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
प्रथम सत्र में विषय ‘आदिवासी अस्मिता के स्वर को लेकर मुख्य वक्ता के रुप में महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के बौद्व अध्ययन केंद्र के निर्देशक डॉ. सुरजीत कुमार सिंह व्यायख्याान देंगे। वहीं डॉ आरके सुखदेवे डिप्टी डायरेक्टर हेल्थ विभाग भी अपने विचार रखेंगे।
द्वितीय सत्र में विषय: भारतीय संविधान एवं आदिवासी मुददे पर मुख्य् वक्ता् के रुप में दिल्ली के प्रोफेसर वर्जिनियस खाखा, मानव शास्त्रीय डॉ जितेंद्र कुमार प्रेमी रविशंकर विवि रायपुर से और मानव वैज्ञानिक डॉ. पीयूष रंजन साहू संगोष्ठी में व्याख्यान देंगे।