दुर्घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (एआरएस) कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञों ने दी राय
भोपाल
कोई भी व्यक्ति दुर्घटना अथवा अन्य चिकित्सकीय आवश्यकता अथवा यातायात स्थिति की सूचना देने के लिये टोल-फ्री नम्बर 1099 पर फोन कर सकता है। नियंत्रण-केन्द्र में कॉल ट्रेकर फोन करने वाले व्यक्ति से दुर्घटना संबंधी जानकारी एकत्रित करता है और विश्लेषण करने के बाद घटना स्थल पर एम्बुलेंस भेजने की व्यवस्था करता है। राज्य सड़क विकास निगम में आज दुर्घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (एक्सीडेंटल रिस्पांस सिस्टम) पर हुई कार्यशाला में यह जानकारी दी गई।
कार्यशाला में बताया गया कि सड़क विकास निगम में आने वाले राजमार्गों, राष्ट्रीय राजमार्गों और मुख्य जिला मार्गों पर लगभग 20 हजार किलोमीटर पर यह सिस्टम लागू किया गया है। दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों की सहायता के लिये राज्य-स्तर पर क्रियान्वित यह पहली परियोजना है। यह परियोजना बीओटी मॉडल पर लागू करने वाली विश्व की संभवत: पहली परियोजना होगी। इस प्रणाली द्वारा अब तक 1300 से ज्यादा पीड़ितों को चिकित्सकीय सुविधा प्रदान की गई है।
कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञों ने सड़क सुरक्षा के लिये सुझाव दिये। मैनिट के प्रो. सिद्धार्थ रोकड़े ने कहा कि रोड सेफ्टी ऑडिट की तरफ विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। जहाँ आवश्यक हो, वहाँ यू-टर्न बनाना चाहिए, नहीं तो लोग खुद-ब-खुद इसे जनरेट कर दुर्घटना का कारण बनते हैं। जंक्शन पर विजिबिलिटी आवश्यक है। नॉन परफार्मिंग सिग्नल्स खतरनाक हो सकते हैं। ऐसे अनसेफ जंक्शन दुर्घटना के कारण बनते हैं। उन्होंने कहा कि रोड मार्किंग बहुत जरूरी है। दुर्घटनाओं को रोकने में इसका अहम हिस्सा है।
उप पुलिस अधीक्षक जी.पी. गुप्ता ने बताया कि डायल-100 में एक हजार एफआरबी और 150 एफआरबी मोटर-साइकिल प्रदेश में काम कर रही हैं। कम समय में रिस्पांस कर डायल-100 ने 95 प्रतिशत लोगों को संतुष्ट किया है। उन्होंने बताया कि कॉल-सेंटर पर 110 लोग तुरंत रिस्पांस के लिये प्रतिदिन 24 घंटे काम कर रहे हैं।
कार्यशाला में रोड सेफ्टी इंजीनियरिंग के बारे में भी चर्चा की गई। कहा गया कि फायर बिग्रेड, क्रेन, पुलिस वाहन और एम्बुलेंस सहित हॉस्पिटल की जानकारी कंट्रोल-रूम में होना चाहिये, ताकि तुरंत दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को रिस्पांस िमल सके। बताया गया कि हॉस्पिटल्स की मेपिंग की जा रही है। जनता और वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्लान तैयार करने को कहा गया।
विषय-विशेषज्ञ सुधीर निगम ने रोड डिजाइन कंस्ट्रक्शन और हाई स्पीड को दुर्घटना का कारण बताया। कार्यशाला में इंटरनेशनल रोड सेफ्टी एक्सपर्ट जेकब जॉन, रोड सेफ्टी एक्सपर्ट यूआरएस स्काट मिशन डॉ. नवीन कुमार, एमपीआरडीसी के प्रमुख अभियंता एस.के.ए. जैदी, मुख्य अभियंता बी.एम. शर्मा, पीटीआरआई के ए.आई.जी. प्रशांत शर्मा मौजूद थे।