दुनिया का चिकित्सा विज्ञान भारतीय ज्ञान पद्धति की देन
भोपाल
राज्यपाल लालजी टंडन ने आज लाल परेड मैदान में अंतर्राष्ट्रीय वन मेला समापन समारोह में कहा है कि दुनिया का चिकित्सा विज्ञान, भारतीय ज्ञान परम्परा की देन है। इसके जन्मदाता थे धनवंतरि गुरु। सारी दुनिया ने फॉदर ऑफ सर्जरी सुश्रुत को माना है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में चिकित्सा विज्ञान सेवा विधि थी जो दुर्भाग्य से पाश्चात्य के बाजारवाद का शिकार हो गई। वन मंत्री उमंग सिंघार ने समारोह की अध्यक्षता की। राज्यपाल ने हर्बल मेला स्मारिका का विमोचन किया।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय चिकित्सा पद्धति नाड़ी तंत्र और श्वसन पर आधारित थी। नाड़ी वैद्य बिना किसी उपकरण के सारे शरीर का हाल जान लेते थे। योग से श्वास प्रक्रिया को नियंत्रित किया जाता था। उन्होंने कहा कि आज दुनिया ने भारतीय योग का महत्व स्वीकार कर लिया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जड़ी-बूटियों की माँग बढ़ रही है। राज्यपाल ने कहा कि वनोत्पादों के विपणन की बेहतर व्यवस्थाएँ और वनों की सुरक्षा के साथ वनवासियों के सशक्तिकरण के प्रयास अब जरूरी हैं।
लालजी टंडन ने कहा कि भारतीय ऋषि-मुनियों ने चिकित्सा ज्ञान के उपयोग के उपायों को स्पष्ट किया है। भारतीय वैद्य चिकित्सा की मान्यता थी कि यदि उनके दरवाजे से पैसे के अभाव में कोई रोगी बिना उपचार के चला गया, तो उनका समस्त ज्ञान समाप्त हो जाएगा। इसी मान्यता पर भारतीय औषधियाँ प्रमुखत: दो समूहों में बंटी थी, काष्ठ आधारित और धातु आधारित। काष्ठ आधारित औषधियाँ वनोत्पादों से बनती थीं और नि:शुल्क उपलब्ध होती थीं। धातु आधारित औषधियाँ महँगे रत्नों और धातुओं से बनने के कारण तेज असर करती थीं। रोग का उपचार दोनों से होता था। वैद्य रोगी की आर्थिक स्थिति के अनुसार उनका उपयोग करते थे। टंडन ने चिकित्सकों का आव्हान किया कि वे अपने ज्ञान का उपयोग सामाजिक कर्तव्यों को पूरा करने में करें।
तेंदूपत्ता संग्राहकों को वितरित होगा 282 करोड़ बोनस
वन मंत्री उमंग सिंघार ने कहा कि प्रदेश में वन और वन्य-जीव संरक्षण के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वनों से प्रदेश के 11 लाख परिवारों को रोजगार मिल रहा है। वनवासियों को वन उपज का उचित मूल्य प्राप्त हो, सरकार इसके लिये प्रभावी प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि तेन्दूपत्ता संग्राहकों को 282 करोड़ रूपये बोनस वितरण शीघ्र किया जाएगा।
मंत्री सिंघार ने कहा कि मध्यप्रदेश को औषधीय उत्पादों का नम्बर वन राज्य बनाने का प्रयास है। वंदन योजना के माध्यम से दो-तीन सौ परिवारों के कलस्टर बनाकर वनोत्पाद प्र-संस्करण की इकाई स्थापित की जा रही है। उन्होंने कहा कि इको सिस्टम का संरक्षण मानव जीवन के सुरक्षित भविष्य का आधार है।
समारोह में राज्य लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र गिरि ने बताया कि महिला सशक्तीकरण के लिये एक हजार 72 समितियों में महिलाओं को संचालक बनाया गया है। प्रबंध संचालक लघुवनोपज संघ एस.के. मंडल ने अतिथियों का अभिवादन किया। लघु वनोपज संघ के उपाध्यक्ष रामनारायण साहू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक यू. प्रकाशम सहित बड़ी संख्या में हर्बल प्रेमी तथा गणमान्य लोग उपस्थित थे।