सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की खैर नहीं
नई दिल्ली लखनऊ
संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान सरकारी व निजी संपत्ति को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यूपी, पश्चिम बंगाल सहित देश के कई राज्यों से बसों व गाड़ियों में आग लगाने के घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तो कहा है कि नुकसान की भरपाई दंगाईयों की संपत्ति बेचकर की जाएगी। आईए जानते है कि क्या है सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून।
सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसे पांच साल तक की सजा या जुर्माने या फिर दोनों हो सकते हैं। सार्वजनिक संपत्ति के रूप में ऐसे भवन या संपत्ति को माना गया है जिसका उपयोग जल, प्रकाश, शक्ति या ऊर्जा उत्पादन या वितरण में किया जाता है। इसके साथ ही कोई तेल प्रतिष्ठान, सीवेरज, खान या कारखाना या फिर कोई लोक परिवहन या दूरसंचार साधन भी सार्वजनिक संपत्ति में आते हैं। वहीं अग्नि अथवा किसी विस्फोटक पदार्थ से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को दस साल की सजा और जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है।
नुकसान की पूरी जिम्मेदारी आरोपी की
2007 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति के बढ़ते नुकसान की घटनाओं को देखते हुए स्वतः संज्ञान लिया था। इस कानून को और प्रभावकारी बनाने के लिए दो उच्च स्तरीय समितियां बनाई। 2009 में इन दोनों समितियों की महत्वपूर्ण सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे। सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश में कहा सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होने पर सारी जिम्मेदारी आरोपी पर होगी।
क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
– सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान होने की स्थिति में सारी जिम्मेदारी नुकसान करने वाले आरोपी की होगी
– आरोपी को खुद को निर्दोष साबित करना होता है। निर्दोष साबित होने तक कोर्ट उसे जिम्मेदार मानकर चलेगी
– नरीमन समिति ने कहा था कि ऐसे मामलों में दंगाइयों से सार्वजिनक संपत्ति के नुकसान की वसूली की जाए
वीडियो रिकॉर्डिंग ने राह आसान की
सार्वजनिक संपत्ति के बढ़ते नुकसान की घटनाओं में आरोपियों की धर पकड़ के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग ने अहम भूमिका निभाई है। इसके चलते आरोपियों की पहचान करके उनपर कार्रवाई आसानी से की जा सकती है। यही नहीं सीसीटीवी के जरिए भी आरोपियों को पकड़ने में सफलता मिलती है।