ना कहने की मानसिकता को हाँ में बदलने का प्रयास
भोपाल
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि प्रदेश की प्रगति और जन-कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शासन-प्रशासन की सोच सकारात्मक हो यह जरूरी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद तंत्र में सुधार के लिए मैंने ना कहने की मानसिकता को बदलकर हाँ कहने की मानसिकता बने, यह प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मैं मध्यप्रदेश की एक ऐसी प्रोफाइल तैयार कर रहा हूँ, जिससे प्रदेश की पहचान न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में बने। नाथ आज एक निजी होटल में पत्रकार बृजेश राजपूत द्वारा लिखित 'चुनाव है बदलाव का' पुस्तक का विमोचन कर रहे थे। इस मौके पर जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी काम के लिए ना कहना सबसे आसान होता है, क्योंकि हाँ कहने पर आपको करके दिखाना होता है परिणाम देने पड़ते है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि मैं तंत्र में इस मानसिकता में कैसे बदलाव करूँ। नाथ ने कहा कि इस दिशा में मेरे प्रयास निरंतर है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक बदलाव से परिवर्तन नहीं आता, हमें यह भी देखना होता है जो मशीनरी, डिलीवरी सिस्टम में काम कर रही है, उसके काम करने के तरीके में क्या परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में परिवर्तन आया है। जिन लोगों के हित में हम काम कर रहे है, उनकी अपेक्षाएँ बढ़ी। ऐसी स्थिति में जरूरी है कि हमारे तंत्र के कार्य करने के तरीकों में भी बदलाव आए, जिससे हमें बेहतर परिणाम मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 साल बाद जो राजनीतिक बदलाव मध्यप्रदेश में हुआ है, उसे मैं मतदाता के नजरिए से देखता हूँ कि उन्होंने यह परिवर्तन क्यों चाहा। हमारे सामने चुनौती है कि मतदाताओं के परिवर्तन की भावनाओं को समझे और उसके अनुसार काम करें। प्रदेश में आर्थिक समृद्धि आए लोगों का जीवन खुशहाल हो, युवाओं को रोजगार मिले, इसके लिए जरूरी है कृषि के क्षेत्र में क्रांति आए। जब तक कृषि क्षेत्र को मजबूत नहीं करेंगे, तब तक अर्थ-व्यवस्था को मजबूत नहीं बनाया जा सकता क्योंकि प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ना जरूरी है क्योंकि इससे ही रोजगार के अवसर पैदा होते है और बुनियादी अर्थ-व्यवस्था का निर्माण होता है। नाथ ने कहा कि अधिक उत्पादन के बाद उसका बेहतर तरीके से कैसे उपयोग हो यह भी हमारे सामने चुनौती है। हमारी खरीदी की जो व्यवस्था है, वह उस समय की है जब कम उत्पादन होता था। उस व्यवस्था में भी हमें बदलाव लाना होगा ताकि किसान अपनी उपज को आसानी से बेच सके और उन्हें सही दाम मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीतियाँ भी हमारी सरल होना चाहिए। उस नीति का कोई मायना नहीं, जो हमारे विकास को अवरुद्ध करें। उन्होंने निवेश के लिए विश्वास का वातावरण बनाने का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने अपनी नीतियों में परिवर्तन किया है, जिससे कई क्षेत्रों में न केवल हमारे देश का बल्कि विदेशी निवेश भी आया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बदलाव के बाद हमारे सामने एक और चुनौती थी वित्तीय संकट की। पूर्ववर्ती सरकार ने कई ऐसी योजनाओं की घोषणा कर दी लेकिन उसका बजट में कोई प्रावधान नहीं था। खाली खजाने के साथ-साथ इन योजनाओं का भी वित्तीय भार वहन करना पड़ रहा है। अतिवृष्टि के कारण 8 हजार करोड़ रुपए का नुकसान किसानों और अधोसंरचना को पहुँचा है। इन विपरीत परिस्थितियों में भी प्रबंधन के साथ हम काम कर रहे है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बदलाव समाचार माध्यमों के क्षेत्र में भी आया है। प्रिंट मीडिया के बाद इलेक्ट्रानिक मीडिया और अब गूगल और इंटरनेट ने कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में एक नई क्रांति कर दी है। इसमें हमारे समाचार माध्यमों से जुड़े सभी लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह अपने प्रोफेशन के सम्मान को कैसे कायम रखें। उन्होंने कहा कि मीडिया जगत अगर गलत दिशा में जाता है तो उससे देश का नुकसान होता है।
प्रारंभ में वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने लेखक बृजेश राजपूत और उनकी पुस्तक के बारे में जानकारी दी। लेखक बृजेश राजपूत ने पुस्तक लेखन की विषय-वस्तु पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार मनोज शर्मा ने किया।
इस मौके पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक तिवारी, राज्य सूचना आयोग के सूचना आयुक्त राहुल सिंह एवं विजय मनोहर तिवारी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव एवं बड़ी संख्या में पत्रकार, वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।