November 23, 2024

नये साल में MP को मिल सकता है नया PCC चीफ,चर्चा में यह नाम

0

भोपाल
 मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर फैसला लगातार टलता जा रहा है| संभावना थी कि नवंबर माह में नाम फाइनल हो जायेगा| लेकिन पहले झाबुआ उपचुनाव और फिर दिल्ली में 14 दिसम्बर के प्रदर्शन को लेकर इस पर विचार नहीं हो सका| अब एक बार फिर दावेदारों के नाम की चर्चा शुरू हो गई है। कांग्रेस को नया पीसीसी चीफ नए साल में ही मिल पायेगा| अभी मुख्यमंत्री कमलनाथ दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं| वो पीसीसी चीफ भी हैं| लोकसभा चुनाव के बाद ही कमलनाथ पद छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं, तब से ही प्रदेश कांग्रेस की कमान किसे सौंपी जायेगी इसको लेकर कवायद जारी है|

प्रदेश में सरकार बने एक साल हो रहा है, ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ को दोहरी जिम्मेदारी से मुक्त करने के लिए हाईकमान गंभीर है। नए अध्यक्ष को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर कमलनाथ सरकार के सदस्यों सहित कुछ हारे हुए पूर्व मंत्रियों के नाम की चर्चा है। विधानसभा में कमलनाथ सरकार के आरामदायक स्थिति में आने के बाद अब हाईकमान पर संगठन का नया मुखिया बनाने के लिए सभी गुटों का दबाव है। दिल्ली में भारत बचाओ रैली के बाद प्रदेश के अधिकांश नेताओं ने हाईकमान के सामने जल्द से जल्द नए अध्यक्ष पर फैसले की बात भी रखी है।

मंत्री, विधायक और हारे नेता भी दौड़ मे शामिल

पीसीसी चीफ के लिए कमलनाथ सरकार के मंत्रियों से लेकर विधायक एवं हारे हुए प्रत्याशियों के नाम भी शामिल हैं। इनमेंं ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधायक कांतिलाल भूरिया व बिसाहूलाल सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व मंत्री रामनिवास रावत, गृह मंत्री बाला बच्चन व वन मंत्री उमंग सिंघार के नाम शामिल हैं। सिंधिया के लोकसभा चुनाव हारने के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा शुरू हो गई थी। चुनाव में हार के बाद भी उनके क्षेत्र व मालवा में सक्रियता के कारण प्रदेश अध्यक्ष के लिए उनका नाम गाहे-बगाहे चर्चा में आता रहा है।

एक नेता के नाम पर नहीं बन पा रही सहमति

कांग्रेस में पिछले एक साल से पीसीसी चीफ को लेकर कसमकश चल रही है, लेकिन किसी भी एक नेता के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। अधिकांश नेताओं की यह कोशिश है कि नया प्रदेश अध्यक्ष ऐसा हो जो सरकार के साथ सामंजस्य बैठाकर काम करे। इससे जहां संगठन का काम सुगमता से चल सकेगा, वहीं सत्ता को भी मुश्किलें कम आएंगी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *