छिंदवाड़ा में दो दिवसीय राज्य स्तरीय कॉर्न फेस्टिवल शुरू
भोपाल
छिन्दवाड़ा में दो दिवसीय राज्य स्तरीय कॉर्न फेस्टिवल में आज पहले दिन प्रदेश के सभी जिलों के मक्का उत्पादक किसान पहुंचे। फेस्टिवल में आज किसानों की मक्का फसल विशेषज्ञ वैज्ञानिकों के साथ परिचर्चा आयोजित की गई। परिचर्चा में देश के अग्रणी कृषि शोध संस्थानों के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को मक्का के फायदों, मक्का उत्पादन में बढ़ोतरी के उपायों, मक्का के पारम्परिक तथा व्यवसायिक उपयोग के अतिरिक्त अन्य उपयोग के बारे में भी जानकारी दी गयी।
कृषि वैज्ञानिक डॉ.खनोरकर और डॉ. गुलवीर सिंह पवार ने फेस्टिवल में किसानों को मक्का के उन्नत बीजों एवं खेती के बारे में जानकारी दी। उन्होंने ने मक्का की सिंगल क्रॉस हाइब्रिड बीजों की खेती के बारे में किसानों को विस्तार से बताया। डॉ. खनोरकर ने मक्का के औषधीय गुणों और मक्का का पशुपालन, कपड़ा उद्योग तथा तेल उत्पादन में उपयोग के बारे में बताया। राष्ट्रीय बीज निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. पवार ने मक्का फसल उत्पादन में बीजों की गुणवत्ता और उसके महत्त्व की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा मक्का के उन्नत बीजों का प्रदेश के साथ देशभर में लगातार उत्पादन एवं वितरण कराया जा रहा है।
किसानों ने साझा किये अपने अनुभव
फेस्टिवल में आयोजित मक्का कार्यशाला में हरियाणा के कृषक डॉ. अरुण कुमार ने मक्का की सफल खेती के बारे में अपने अनुभव किसानों से साझा किए। उन्होंने हरियाणा के अलग-अलग क्षेत्रों में उत्पादित होने वाली स्वीट कॉर्न एवं बेबी कॉर्न की खेती से जुड़ी जानकारी दी। खंडवा जिले के किसान शिव प्रसाद चौहान, क्वार सिंह, थोम सिंह, भाव सिंह, रामेश्वर ठाकरे और दादू कासडे ने बताया कि हम लोग कई पीढ़ियों से मक्के की सफल खेती कर रहे हैं। मक्के की औसतन खेती आर्थिक रूप से लाभदायक रहती है। खंडवा जिले में इस वर्ष अधिक बारिश के बावजूद मक्का उत्पादन औसत से बेहतर रहेगा।
संपूर्ण मध्यप्रदेश में मक्का उत्पादन में अग्रणी जिला छिन्दवाड़ा की महिला किसान भी परिचर्चा में शामिल हुईं। ग्राम सहजपुरी की महिला किसान श्रीमती सुरती धुर्वे ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे विगत 16 वर्षों से मक्के की खेती कर रही हैं। उन्होंने 3 एकड़ में 45 क्विंटल तक मक्के का उत्पादन लिया है, जो अन्य फसलों से अधिकतम है। महिला किसान श्रीमती सजनी उईके ने कहा कि वे 4-5 सालों से मक्के की खेती से जुड़ी हैं। इनके द्वारा किये जा रहा मक्का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है।