November 22, 2024

पुलिस मुख्यालय में दस्तावेज जांच का काम बंद, स्टाफ की कमी से 1200 से ज्यादा फाइलें पेंडिंग

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भोपाल
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एसटीएफ, ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त समेत दूसरे विभागों में चल रही जांच के संबंध में पुलिस मुख्यालय (Police head quarter) में आने वाले दस्तावेजों की एक्सपर्ट से समय पर जांच (Document check) नहीं होने की वजह से बीते एक साल में 1200 से ज्यादा मामले लंबित पड़े हैं. इससे तमाम विभागों के मामलों की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है. इसकी वजह पुलिस मुख्यालय के क्यूडी ब्रांच में स्टाफ की कमी (lack of staff) है. यहां हैडराइटिंग एक्सपर्ट से लेकर डीएसपी और निरीक्षकों की भारी कमी से लंबित फाइलों की संख्या बढ़ती ही जा रही है.

पुलिस मुख्यालय के क्यूडी विभाग में हैंडराइटिंग एक्सपर्ट समेत पुलिस अधिकारियों की भर्ती नहीं हुई है. इससे जांच की पेंडेंसी तेजी से बढ़ रही है. क्यूडी शाखा में पुलिस के अलावा प्रदेश सरकार और प्रदेश के सभी जिलों से जांच के लिए दस्तावेज पुलिस मुख्यालय भेजे जाते हैं. यह दस्तावेज हैंडराइटिंग, फर्जी साइन या फिर कागजों की सत्यता से जुड़े रहते हैं. क्यूडी ब्रांच में हर साल करीब ढाई हजार दस्तावेज जांच के लिए आते हैं. दस्तावेज में छेड़छाड़, फर्जी तरह से दस्तावेज बनाने जैसे महत्वपूर्ण जांच इस शाखा के अधीन है. ऐसे दस्तावेजों को प्रशासन, सरकार और पुलिस सीधे इस शाखा को जांच के लिए भेज देती है.

इस शाखा के लिए उपनिरीक्षकों की अलग से ट्रेनिंग होती है. वर्ष 2017 की पुलिस भर्ती में इस शाखा के लिए भी उपनिरीक्षकों की भर्ती होनी थी, लेकिन भर्ती को लेकर अब तक शासन स्तर से कोई आदेश नहीं मिल सका है. इस कारण विभाग में कर्मचारियों-अधिकारियों के पद खाली पड़े हैं. अभी 10 हैंडराइटिंग एक्सपर्ट हैं, जो लंबित पड़ी फाइलों की संख्या की तुलना में काफी कम है. इसके अलावा निरीक्षक के 23 पद स्वीकृत हैं, लेकिन पदोन्नति पर रोक के चलते शाखा में सिर्फ तीन ही निरीक्षक बचे हैं. वहीं भर्ती नहीं होने के चलते उपनिरीक्षकों के तीन आधा दर्जन से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. डीएसपी के पद भी खाली हैं.

एसटीएफ, ईओडब्ल्यू, एटीएस, पुलिस या फिर लोकायुक्त, ये ऐसी जांच एजेंसियां हैं, जिनके पास धोखाधड़ी समेत दूसरी धाराओं में दर्ज केस के मामले में शामिल दस्तावेजों की जांच की जरूरत पड़ती है. लेकिन क्यूडी ब्रांच में इन दस्तावेजों की जांच समय पर नहीं होने की वजह से मामले जांच के नाम पर लंबे खींच जाते हैं. लेकिन यहां पर कर्मचारियों की कमी के कारण मामला लंबित होता जा रहा है.

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