1500 करोड़ में नीलाम हुई बंदर हीरा खदान बिड़ला ग्रुप को मिली
भोपाल
मध्य प्रदेश में हीरा खदान के लिए मंगलवार को सरकार ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया की थी। इस प्रक्रिया में देश की नामी कंपनियां अडानी, रूंगटा व बिड़ला ग्रुप शामिल हुईं थीं। बुधवार को खनिज मंत्री प्रदीप जयसवाल ने बताया कि छतरपुर के बक्स्वाहा स्थित बंदर हीरा खदान बिड़ला ग्रुप को मिली है। यह खदान बिड़ला ग्रुप को 50 साल की लीज़ पर दी गई है। सरकार को हर साल 1500 करोड़ का राजस्व मिली है। इस खदान से मध्य प्रदेश सरकार को करीब 23 हजार करोड़ रुपए (30.5 फीसदी हिस्सेदारी और 11.50 फीसदी रॉयल्टी) का राजस्व मिलेगा।
मंत्री जयसवाल ने बताया कि कंपनी को दो साल के अंदर काम शुरू करना होगा। प्रदेश सरकार को प्रति वर्ष 1500 करोड़ का राजस्व मिलेगा। खदान में 3.50 करोड़ कैरेट हीरे के भंडार का अनुमान है, जिसकी कीमत 55 हजार करोड़ आंकी गई है। सरकार को 41.55 फीसदी लाभ मिलेगा, जो 23 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा होगा। नीलामी में सबसे ज्यादा बोली लगाकर कुमार मंगलम बिड़ला समूह की कंपनी एस्सेल माइनिंग ने सफलता पा ली है।
रियोटिंटो ने छोड़ा था काम
सरकार ने वर्ष 2007 में डायमंड कंपनी रियोटिंटो को खदान का सर्वे सौंपा था। तब शर्त रखी गई थी कि कंपनी खदान से निकलने वाला हीरा निर्यात नहीं कर सकेगी और हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग मध्य प्रदेश में ही करना होगी। इसमें कंपनी को मुनाफा नहीं दिखा, तो कंपनी ने प्रोजेक्ट छोड़ दिया था। तब से खदान बंद थी। इस शर्त को फिर से रखा जा रहा था, लेकिन कंपनियों की अरुचि को देखते हुए शर्त हटा दी गई।