FCI ने बॉन्ड बेचकर जुटाए 8,000 करोड़
मुंबई
फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) ने खाद्यान्न की भंडारण क्षमता बढ़ाने की योजना को अंजाम देने के लिए बॉन्ड बेचकर 8,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। सरकार की गारंटी वाले इन 10 साल के बॉन्ड पर 7.64% का कूपन रेट ऑफर किया गया है। कंपनी को 247 बिड मिली थीं जिनमें इश्यू साइज के ढाई गुना के बराबर बॉन्ड्स की मांग आई थी। मार्केट के सोर्सेज ने कहा कि रिस्क से परहेज करने की बढ़ती प्रवृत्ति के बीच इन 'जीरो रिस्क' बॉन्ड्स में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI बैंक, एक्सिस बैंक, यस बैंक और HDFC बैंक ने पैसा लगाया है। बॉन्ड इश्यू में सब्सक्रिप्शन के बाबत बैंकों से कॉन्टैक्ट नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि कुछ इंश्योरेंस कंपनियों और बॉन्ड हाउस ने भी एफसीआई के बॉन्ड में पैसा लगाया है।
सेल में शामिल एक बड़े बॉन्ड हाउस के सीनियर एग्जिक्यूटिव ने कहा, 'सरकारी गारंटी के चलते ज्यादा सेफ्टी होने से बॉन्ड की टाइट प्राइसिंग की गई थी।' अगर FCI बॉन्ड का कूपन रेट पेमेंट करने में नाकामयाब रहती है तो निवेशकों को पैसा सरकार देगी। यह सेफ्टी फीचर सरकारी गारंटी वाले हरेक बॉन्ड में होता है। ऐसे बॉन्ड का कूपन रेट राज्य सरकार के बॉन्ड्स के मुकाबले लगभग 20-25 बेसिस प्वाइंट यानी 0.20-0.25 पर्सेंटेज प्वाइंट कम होता है। डीलर्स बताते हैं कि राज्य सरकार के बॉन्ड को सॉवरेन सपोर्ट नहीं होने पर उनका कूपन रेट ज्यादा हो सकता है।
FCI सरकार की तरफ से अनाज की खरीदारी करती है और यह REC या पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन की तरह बॉन्ड बाजार से बार-बार पैसे नहीं जुटाती है। सोमवार नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डिवेलपमेंट (NABARD) ने भी 7.75% के कूपन रेट वाले 15 साल के बॉन्ड बेचे थे। ईटी ने पांच नवंबर को खबर दी थी कि FCI सरकारी गारंटी वाले बॉन्ड्स के जरिए 13,200 करोड़ रुपये जुटाने वाली है। इसका मतलब यह है कि कंपनी के पास और बॉन्ड्स बेचने की गुंजाइश है।
मामले के जानकार सूत्र ने कहा कि FCI को खाद्यान्न के रखरखाव के लिए 60,000 करोड़ रुपये से 1.03 लाख करोड़ रुपये तक की जरूरत है। कंपनी ने शॉर्ट टर्म वर्किंग कैपिटल के लिए लेंडर्स के साथ पहले ही करार कर चुकी है। ऐसे में सरकारी गारंटी वाले बॉन्ड से कंपनी को लॉन्ग टर्म फंड मिलेगा। ईटी ने नवंबर के अंतिम हफ्ते में खबर छापी थी कैबिनेट कमेटी ऑन इकनॉमिक अफेयर्स ने FCI की अधिकृत पूंजी को 3,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये करने को मंजूरी दे दी है।