सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हैदराबाद एनकाउंटर केस
हैदराबाद
हैदराबाद में वेटरिनरी डॉक्टर से रेप-हत्या के चारों आरोपियों को शुक्रवार को पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया। एक ओर जहां पुलिस की इस कार्रवाई पर वाहवाही की जा रही है, वहीं सवाल भी उठ रहे हैं। इसी कड़ी में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में पुलिस के खिलाफ जांच की मांग करते हुए याचिकाएं दाखिल की गई हैं। शुक्रवार तड़के पुलिस चारों आरोपियों को लेकर क्राइम सीन रीक्रिएट करने गई थी। पुलिस का दावा है कि उस दौरान भागने की कोशिश में चारों गोली के शिकार हो गए।
ऐडवोकेट जीएस मणि और प्रदीप कुमार यादव ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कोर्ट में कहा है कि कार्रवाई के दौरान पुलिस ने कोर्ट के साल 2014 में दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया है। याचिका में कहा गया है कि एनकाउंटर में शामिल पुलिकर्मियों के खिलाफ एफआईआर की जानी चाहिए और जांच करके कार्रवाई की जानी चाहिए। इस मामले में कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा।
समर्थन करने वालों के खिलाफ भी याचिका
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में एक और जनहित याचिका दाखिल की गई है। वकील मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में उनको भी पार्टी बनाया है जिन लोगों ने एक्स्ट्रा जूडिशल किलिंग का समर्थन किया था। इनमें समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद जया बच्चन और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल के नाम शामिल हैं। उन्होंने मीडिया पर भी गैग ऑर्डर की मांग की है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में SIT जांच की मांग की गई है।
एनकाउंटर में ढेर चारों
बता दें कि शुक्रवार तड़के पुलिस ने चारों आरोपियों- शिवा, नवीन, केशवुलू और मोहम्मद आरिफ को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। पुलिस ने बताया था कि आरोपियों को उस अंडरपास पर ले जाया गया था जहां उन्होंने पीड़िता के शव को जलाया था। उन्हें क्राइम सीन रीक्रिएट करने के लिए ले जाया गया था। बताया गया है कि वहां उन्होंने पुलिसवालों के हथियार छीनकर भागने की कोशिश की और पुलिस पर फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई में चारों पुलिस की गोलियों के शिकार हो गए।
पुलिस की कार्रवाई पर कहीं तारीफ, कहीं सवाल
पुलिस की इस ऐक्शन पर काफी वाहवाही हो रही थी। मौके पर पहुंचे लोगों ने जिंदाबाद के नारे लगाए और फूलों की बरसात तक की। हालांकि, पुलिस की कार्रवाई पर कई सवाल भी उठे हैं। कई लोगों ने कहा कि न्याय कोर्ट के रास्ते होना चाहिए था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम भी हैदराबाद पहुंच चुकी है।